बालाजी फाउंडेशन द्वारा आयोजित स्वदेश कॉन्क्लेव 2025 का भव्य आयोजन भारत मंडपम, नई दिल्ली में किया गया। इस वर्ष की थीम है– “Transforming Bharat”। इस आयोजन में भारत की सामूहिक दृष्टि और भविष्य की दिशा को एक साझा मंच पर प्रस्तुत किया गया, जिसमें नीति-निर्माताओं, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों, मीडिया हस्तियों, कलाकारों, सामाजिक नेताओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी रही।
स्वदेश कॉन्क्लेव 2025 के पहले सत्र में ONGC की पूर्व निदेशक और ओटीबीएल की पूर्व अध्यक्ष सुषमा रावत ने भारत में तेल की खोज के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक समय में ये सोचा ही नहीं जाता था कि भारत में असम के सिवाय कहीं तेल पाया जा सकता है। लेकिन समय के साथ एक नई शुरुआत की गई। यही ट्रांसफोर्मिंग भारत है। ये अनुभव बताता है कि हमें खुद की क्षमता में विश्वास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज के समय में तकनीक ही गुरु है। सीखना कभी बंद नहीं होता है।
जेएनयू के प्रोफेसर अनिर्बान चक्रवर्ती ने कार्यक्रम में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन सहित कई समस्याओं से निपटने के लिए कई विषयों को साथ लेकर चलने वाले दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसके लिए विभिन्न विज्ञानों के विशेषज्ञों को एक साथ आने की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि एआई का क्षेत्र काफ़ी तेज़ी से बढ़ रहा है, छात्र इसका अध्ययन करने के लिए पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरी प्रणाली के सभी पहलुओं को समझना ज़रूरी है। रुझानों को देखने के लिए डेटा रिकॉर्ड करें और मशीन लर्निंग का उपयोग करें। उदाहरण के लिए हम कीमतों में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगा सकते हैं,मशीन लर्निंग उपकरणों के माध्यम से छोटे किसानों की मदद हो सकती है। मैं बता सकता हूँ कि बाज़ार कैसे आगे बढ़ रहा है और किसानों को किस उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें सोच-समझकर चुनाव करने में मदद मिलेगी। आरबीआई, सेबी सहित कई संस्थाएँ रुझानों आदि का अनुमान लगाने के लिए एआई-एमएल का उपयोग कर रही हैं ताकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सके।
जाने माने अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार ने कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि हमें हमारे अर्थव्यवस्था के ढांचे को समझने की जरूरत है। आज बेरोजगारी की समस्या से सब परिचित हैं। हमारे देश की आबादी तो असंगठित क्षेत्र में ही काम करती है। लेकिन आउटपुट इस क्षेत्र का उतना नहीं है। ये बड़ा अंतर है। ये समाज में भेदभाव की ओर इशारा करता है। क्योंकि चीजें आपस में जुड़ी हुई हैं। कोरोना ने असंगठित क्षेत्र को और नुकसान पहुंचाया है। असंगठित क्षेत्र को बढ़ावा देने की जरूरत है। प्रोफेसर कुमार ने कैपेसिटी यूटलाइजेशन और पब्लिक और प्राइवेट निवेश के बारे में भी बताया। हमारे देश में ज्यादातर आबादी की आमदनी नहीं है , आबादी का 10 प्रतिशत लोग ही समृद्ध हैं। किसानों को उनकी फसल का सही दाम देने की जरूरत है। MSME सेक्टर में सहकारिता को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे संगठित क्षेत्र को भी लाभ होगा। प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि हमें रिसर्च और डेवलपमेंट पर भी खर्च करने की जरूरत है। यानी कि हमें हमारी शिक्षा प्रणाली को भी दुरुस्त करना होगा। प्रो.कुमार ने उपभोक्तावाद और पर्यावरण को होते हुए नुकसान की ओर भी ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया।