भारत और चीन के बीच एक बार फिर नए सिरे से रिश्तों को नया रंग दिए जाने की कोशिश हो रही है। सुषमा चार दिवसीय दौरे पर 21 अप्रैल को चीन जाएंगी और अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ 22 अप्रैल को मुलाकात करेंगी। इस मुलाकात में सुषमा और वांग यी 73 दिन तक चले डोकलाम सैन्य गतिरोध के कारण संबंधों में आए तनाव को दूर करने की कोशिशों को गति देंगे और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। चीन ने कहा है कि भारत के साथ उसके रिश्ते प्रगति के पथ पर हैं। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के चीन दौरे से दोनों देशों के राजनीतिक विश्वास में बढ़ोतरी होगी।
खबरों के मुताबिक, इस यात्रा पर चीन सुषमा स्वराज को चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) की तरह की एक प्रोजेक्ट के लिए लुभाने की कोशिश कर सकता है। चीन, सुषमा के दौरे पर उन्हें चीन, नेपाल और भारत के बीच एक इकोनॉमिक कॉरीडोर के लिए हामी भरवाने की कोशिश कर सकता है। आपको बता दें कि भारत सीपीईसी के तहत बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का विरोध करता आया है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत मानता है कि सीपीईसी और बीआरई दोनों ही उसकी संप्रभुता के खिलाफ हैं।
चीन भारत के साथ उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की संभावना देख रहा है। वह व्यावहारिक साझेदारी को बढ़ाना चाहता है और भू विवादों को सुलझाकर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाना चाहता है। बता दें कि चीन परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ( एनएसजी ) में भारत के प्रवेश को भी बाधित कर रहा है। साथ ही वह जैश ए मुहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रयासों का भी विरोध करता है। वांग यी को पिछले माह स्टेट काउंसलर बनाए जाने के बाद उनकी सुषमा के साथ यह पहली बैठक होगी। इस पद ने उन्हें चीनी पदक्रम में शीर्ष राजनयिक की जगह दे दी है। अब वांग यी चीन के विदेश मंत्री और स्टेट काउंसेलर दोनों ही हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि बातचीत के दौरान वांग यी और सुषमा द्विपक्षीय संबंधों, परस्पर चिंता के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान करेंगे।