सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि अगर किसी फिल्म या डॉक्युमेंट्री के दौरान राष्ट्रगान बजता है तो खड़े होने की जरूरत नहीं है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि इस मामले को लेकर देश में कोई कानून नहीं है। जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नैतिकता के पहरेदार नहीं है राष्ट्रगान पर खड़े होने के मुद्दे पर बहस की जरूरत है। हालांकि फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजने पर खड़ा होना अनिवार्य है।
बता दें कि दिसंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान के मामले में आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजने पर सभी दर्शकों का खड़ा होना पड़ेगा भले वो राष्ट्रगान ना गाएं। इसके अलावा राष्ट्रगान बजाने के दौरान स्क्रीन पर तिरंगा भी दिखाना जरूरी होगा। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए थे कि राष्ट्रगान को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल ना करें।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि प्रश्न देश के नागरिकों की देशभक्ति की भावना दिखाने का है। जब इस विषय में कोई कानून नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश महत्वपूर्ण है। रोहतगी ने कहा है कि सिनेमाघरों के साथ-साथ यह आदेश स्कूलों में भी की लागू किया जाना चाहिए ताकि राष्ट्रभक्ति की भावना की बचपन से ही हमारे अंदर हो। अब इस मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। दरअसल, राष्ट्रगान से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में आदेश के संबंध में तमाम याचिकाएं दाखिल की गई है। इनमें कहा गया है कि इस आदेश को वापस लिया जाए क्योंकि इस आदेश से अधिकारों का हनन हो रहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कोर्ट को सिनेमा जैसे जगहों पर इसे लागू नहीं करना चाहिए।