Shyama Prasad Mukherjee B’Day: भारतीय जनता पार्टी इस समय दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी मानी जाती है। इसकी स्थापना 1980 में हुई थी लेकिन इसका इतिहास इससे भी पुराना है।जो कि जनसंघ और उसके संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी से जुड़ा है।श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज जयंती है।
मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता में हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कानून की पढ़ाई की थी और साल 1924 में उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में वकालत की शुरूआत की। 33 साल की उम्र में वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बने। 1929 में वे बंगाल विधान परिषद के सदस्य बने। उन्होंने 1941–42 के बीच एके फजलुल हक के अंतर्गत वित्त मंत्री के रूप में काम किया। 1942 में मुखर्जी ने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। साल 1946 में वे भारत की संविधान सभा के सदस्य बने।आपको बता दें कि 1939 में मुखर्जी हिंदू महासभा में शामिल हो गए थे।

Shyama Prasad Mukherjee B’Day:1943 में मुखर्जी हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने
Shyama Prasad Mukherjee B’Day: गौरतलब है कि मुखर्जी के महासभा में रहते संगठन ने मुस्लिम लीग के साथ दो सूबों में सरकार बनाई थी। 1943 में मुखर्जी हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने। मुखर्जी उन नेताओं में थे जिन्होंने बंगाल के बंटवारे की बात की। मुखर्जी आजाद बंगाल के खिलाफ थे। उन्होंने बंगाली हिंदुओं के रहने के लिए आंदोलन चलाया।
आपको बता दें कि भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने से हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मना कर दिया था और मुखर्जी ने भी इस आंदोलन का विरोध किया था। हालांकि ब्रिटिश हुकूमत ने जिस तरह इस आंदोलन को कुचला उसे देखते हुए मुखर्जी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
बाद में प्रधानमंत्री नेहरू ने अंतरिम सरकार में मुखर्जी को शामिल किया और उन्हें उद्योग और आपूर्ति का विभाग दिया। महात्मा गांधी की हत्या का विरोध करने के चलते मुखर्जी महासभा में अलग-थलग हो गए थे।
Shyama Prasad Mukherjee B’Day: 21 अक्टूबर 1951 को जनसंघ की स्थापना

Shyama Prasad Mukherjee B’Day: मुखर्जी चाहते थे कि मुसलमानों को भी हिंदू महासभा में शामिल किया जाए। इस मुद्दे पर उन्होंने महासभा छोड़ दी।बाद में साल 1950 में नेहरू और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाकत अली खां के बीच हुए दिल्ली समझौते के चलते मुखर्जी ने नेहरू सरकार से इस्तीफा दे दिया था। 21 अक्टूबर 1951 को मुखर्जी ने दिल्ली में जनसंघ की स्थापना की।
मुखर्जी जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 के सख्त खिलाफ थे और वे नहीं चाहते थे कि इसे विशेष दर्जा दिया जाए। उन्होंने इसका जमकर विरोध किया। उस समय में उन्होंने कहा था, “एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे।” 1953 में उन्होंने जम्मू कश्मीर का दौरा करने की सोची लेकिन ऐसा करने के लिए उनको इजाजत नहीं दी गयी। 11 मई को उनको हिरासत में लिया गया। इस बीच 23 जून को उनका निधन हो गया।
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