मिशन 2019 से पहले पार्टी के कार्यकर्ताओं को कसने और समाज के प्रबुद्ध लोगों को मोदी सरकार की उपलब्धियां बताने के देश भर का दौरा कर रहे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह रविवार को उत्तराखंड में थे। अपने एक दिन के दौरे में अमित शाह ने संपर्क फॉर समर्थन के लिए गायत्री परिवार के प्रमुख से मिलने शांतिकुंज पहुंचे तो देहरादून में एक के बाद एक बैठकें कर कार्यकर्ताओं को उत्साहवर्धन भी किया।
अमित शाह के दौरे से पार्टी कार्यकर्ता और नेता भी उत्साहित नजर आए। अपने एक दिन के दौरे पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उत्तराखंड बीजेपी में नई ऊर्जा का संचार कर गए। अगले साल होने वाले लोकसभा की तैयारियों की समीक्षा करने आए अमित शाह ने पार्टी के कोर ग्रुप और कार्यकारिणी की बैठक ली तो पूर्णकालिक विस्तारकों, सोशल मीडिया स्वयंसेवकों और अनुसूचित वर्ग के सदस्यों से संवाद किया। साथ ही लोकसभा चुनाव प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों के साथ भी बैठक की।
बीजेपी अध्यक्ष ने त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कामकाज की समीक्षा भी की और विकास कार्यों में सरकार के बेहतर कार्यों को लेकर उसकी पीठ भी थपथपाई। लेकिन इन बैठकों में अमित शाह ने साफ कर दिया कि एकजुट हो रहे विपक्ष के सामने चुनौती कठिन है जिसको ध्यान में रखते हुए कार्यकर्ताओं को तैयारी करने की जरूरत है। उन्होंने 51 फीसदी वोट और 50 साल शासन करने के लक्ष्य के साथ तैयारी करने को कहा। बीजेपी अध्यक्ष ने अपने एक दिन के दौरे से दो लक्ष्यों को साधा।
पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया तो ‘संपर्क फॉर समर्थन’ के तहत हरिद्वार जाकर संत महात्माओं से भी मुलाकात की और उन्हें मोदी सरकार के चार साल के कामकाज का हिसाब दिया। अमित शाह ने हरिद्वार में गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पांड्या से मिलने शांतिकुंज भी गए। बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात बारे में पूछे जाने पर डॉ. प्रणव पांड्या ने इसे औपचारिक मुलाकात करार दिया।
पार्टी के विभिन्न सेल के कार्यकर्ताओं से मुलाकात में बीजेपी अध्यक्ष ने आरक्षण के मसले पर पार्टी के नजरिए को साफ किया। उन्होंने साफ किया कि बीजेपी आरक्षण न खत्म करेगी और न ही किसी को खत्म करने देगी। उन्होंने पार्टी को लेकर विपक्ष के दुष्प्रचार के प्रति सोशल मीडिया विंग के सदस्यों को बेहद सजग रहने को कहा, उन्हें साइबर प्रहरी बनकर काम करने को कहा। जाहिर है अपनी रणनीति को लेकर विपक्ष को भी हैरान कर देने वाले अमित शाह पिछले चुनाव यानी 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही अगले चुनाव की तैयारियों में जुट गए थे।
चुनाव के नजदीक आने के साथ ही उनकी सक्रियता और बढ़ गई है। अभी कुछ दिन पहले ही वो उत्तराखंड के दौरे पर आए थे और मंत्रियों की क्लास ली थी। इस बार भी वो रावत सरकार के मंत्रियों को सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के निर्देश दे गए हैं। दरअसल, उपचुनाव में एक के बाद एक मिलती हार और एकजुट होते विपक्ष ने बीजेपी को चौकन्ना कर दिया है, जो पार्टी विपक्षी दलों में विकराव को लेकर मिशन 2019 को आसान मानकर चल रही थी। उसके माथे पर अब बल पड़ने लगे हैं। यही कारण है कि रणनीति बनाने में माहिर माने-जाने अमित शाह ने संपर्क फॉर समर्थन का अभियान छेड़ा है। अब देखना है कि बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में इसका कितना फायदा मिलता है।