लंबे उहापोह के बाद आखिरकार सरकार ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के पद पर नियुक्ति का निर्णय लेते हुए भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और मध्य प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक रिषी कुमार शुक्ला को यह जिम्मेदारी सौंपी है। 1983 बैच के आईपीएस ऑफिसर शुक्ला मध्य प्रदेश के डीजीपी भी रह चुके हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति मामलों की समिति ने दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत गठित समिति द्वारा भेजे गये नामों के पैनल के आधार पर शुक्ला की नियुक्ति को मंजूरी दी है। शुक्ला की नियुक्ति दो वर्ष के लिए की गयी है जो उनके पदभार संभालने के दिन से प्रभावी होगी।
#BREAKING: ऋषि कुमार शुक्ला बने नए #CBIDirector, 1983 बैच के आईपीएस हैं ऋषि कुमार शुक्ला pic.twitter.com/bHJzSzERLU
— APN न्यूज़ हिंदी (@apnlivehindi) February 2, 2019
वर्मा को विवादों के चलते पहले छुट्टी पर भेजा गया था और फिर उन्हें इस पद से हटाने के बाद केंद्र सरकार ने एम. नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त किया था। बता दें कि आलोक वर्मा को निदेशक पद से हटाए जाने के बाद 10 जनवरी से यह पद खाली पड़ा है। इससे पहले 24 जनवरी को समिति की बैठक हुई थी, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकल पाया था।
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एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई थी। जस्टिस अरुण मिश्रा और नवीन सिन्हा की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा था कि यह पद संवेदनशील है, इस पर लंबे समय तक अंतरिम निदेशक की नियुक्ति करना सही नहीं है। अब तक स्थाई निदेशक की नियुक्ति हो जानी चाहिए थी।
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बेनतीजा रही थी चयन समिति की बैठक
सीबीआई डायरेक्टर के चयन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई दूसरी बैठक में भी किसी नाम पर फैसला नहीं हो सका था। बैठक में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे। सूत्रों ने कहा कि केंद्र की ओर से जावेद अहमद, रजनीकांत मिश्रा, एसएस देसवाल, शिवानंद झा के नाम आगे बढ़ाए गए थे। लेकिन कांग्रेस के नेता खड़गे ने उन पर आपत्ति जताई। बैठक बेनतीजा खत्म हो गई।
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सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और सीबीआई के ही पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की लड़ाई के बाद सीबीआई चर्चा में आई थी। सीबीआई के नंबर वन और टू अधिकारी ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। जिसके बाद आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर दमकल सेवा महानिदेशक, नागरिक रक्षा और होम गार्ड्स का महानिदेशक बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने खुद इस्तीफा दे दिया था।