गणतंत्र दिवस 2025 के मौके पर कर्तव्य पथ पर कई भव्य झांकियां प्रस्तुत की गईं, जिनमें झारखंड की झांकी प्रमुख आकर्षण रही। इस बार की झांकी का थीम था- “स्वर्णिम झारखंड: विरासत और प्रगति की राह”। खास बात यह थी कि इस झांकी में उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी गई, जिनका निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ था। झारखंड की झांकी में जमशेदपुर को केंद्र में रखा गया, क्योंकि ‘स्टील सिटी’ के रूप में पहचान बनाने वाले इस शहर के विकास में रतन टाटा का अहम योगदान था।
जमशेदपुर का इतिहास
जमशेदपुर, जो पहले किटाटानगर के नाम से जाना जाता था, 1907 में जमशेदजी टाटा के द्वारा स्थापित किया गया था। यह अब झारखंड का सबसे बड़ा शहर और व्यापारिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।
झारखंड की झांकी में क्या था खास?
झारखंड की झांकी में न सिर्फ औद्योगिक विकास की छवि पेश की गई, बल्कि राज्य की संस्कृति, पारंपरिक नृत्य, हस्तशिल्प और कला को भी प्रमुखता से दिखाया गया। आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाई गई सोहराई और खोबर पेंटिंग्स को भी इस झांकी में प्रमुख स्थान मिला।
महिला सशक्तिकरण का संदेश
इस वर्ष झांकी में महिला सशक्तिकरण का भी संदेश दिया गया, जिसमें यह दर्शाया गया कि महिलाओं का रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान है। झांकी ने राज्य में महिलाओं की भूमिका को उजागर किया और उनके योगदान को सम्मानित किया।
झारखंड की कारीगरी और कला
झारखंड की झांकी ने राज्य के पारंपरिक कारीगरी और आदिवासी कला को भी प्रदर्शित किया, जो राज्य की पहचान बन चुकी है। महिला सशक्तिकरण और सामाजिक योगदान को भी विशेष रूप से उजागर किया गया।