लाल किले से भी बड़े धमाके की साजिश, मुजम्मिल के कबूलनामे में चौंकाने वाला खुलासा

0
0
लाल किले से भी बड़े धमाके की साजिश, मुजम्मिल के कबूलनामे में चौंकाने वाला खुलासा
लाल किले से भी बड़े धमाके की साजिश, मुजम्मिल के कबूलनामे में चौंकाने वाला खुलासा

लाल किला ब्लास्ट केस की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों को एक ऐसा खुलासा मिला है जिसने सबको चौंका दिया है। केस डायरी में दर्ज विवरण बताता है कि धमाके के लिए जिस विस्फोटक का इस्तेमाल होना था, उसे एसीटोन (यानी नेल पॉलिश रिमूवर) और पिसी हुई चीनी मिलाकर तैयार किया गया था। फरीदाबाद से बरामद explosive का असली मास्टरमाइंड डॉक्टर उमर मोहम्मद था, जिसकी मौत हो चुकी है। जांच में यह भी सामने आया कि उमर जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षित आतंकी था और उसने देश में अब तक की सबसे बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने का प्लान बनाया था।

9 भाषाओं में माहिर था डॉक्टर उमर

गिरफ्तार आतंकी मुज़म्मिल के मुताबिक, उमर खुद को ‘आमिर’ कहकर बुलाता था, जिसका अर्थ होता है राजकुमार या सेनापति। मुज़म्मिल ने बताया कि उमर हमेशा खुद को दूसरों से ज्यादा काबिल और पढ़ा-लिखा मानता था। वह नौ से ज्यादा भाषाएँ बोल सकता था—हिंदी, उर्दू, इंग्लिश, अरबी, फारसी, चीनी और फ्रेंच उनमें शामिल हैं। उसकी सोच में वह एक ‘लीडर’ और ‘रूलर’ था, जबकि अदील को वह ‘खजांची’ समझता था। उसकी बुद्धि और पढ़ाई के स्तर को देखते हुए मुज़म्मिल का दावा है कि उमर साइंटिस्ट भी बन सकता था।

उमर की लीडरशिप और कंट्रोल में था पूरा मॉड्यूल

मुज़म्मिल के अनुसार, उमर लगातार ‘दीन’ की बातें करता था और खुद को ‘EMIR’ यानी नेता बताता था। उसके पास इतनी तर्कपूर्ण और रिसर्च आधारित बातें होती थीं कि कोई उसकी राय काट नहीं पाता था। उसका दावा था कि देश में माहौल बिगड़ चुका है, पोलराइजेशन हो चुका है और जेनोसाइड जैसी स्थिति बन सकती है, इसलिए सभी को तैयारी रखनी होगी।

अल फलाह यूनिवर्सिटी के कमरे में होती थी विस्फोटक की टेस्टिंग

जांच में यह भी सामने आया कि 2023 में नूंह हिंसा और नासिर-जुनैद हत्याकांड की घटनाओं ने उमर को इस बड़े षड्यंत्र की ओर धकेला। मुज़म्मिल ने बताया कि 370 हटने के बाद से उमर के भीतर जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों के लिए बेहद नफरत पैदा हो गई थी। वह फरीदाबाद में छिपाए गए explosive के साथ जम्मू-कश्मीर जाकर बड़ी वारदात को अंजाम देना चाहता था। वह नूंह से यूरिया लाता और अल फलाह यूनिवर्सिटी के कमरा नंबर 4 में खुद टेस्टिंग करता था।

5 लोगों की टीम, चीनी भाषा में ‘सीक्रेट ग्रुप’

उमर के सूटकेस से सुरक्षा एजेंसियों को कई अहम राज मिले। साजिश में उमर के साथ मुज़म्मिल, अदील, शाहीन और मुफ्ती इरफान शामिल थे। ग्रुप का एडमिन उमर था और उसने ग्रुप को चीनी भाषा में तैयार किया था। बातचीत भी सिर्फ चाइनीज में होती थी। हैरानी की बात यह है कि उमर ने सिर्फ छह महीने में चीनी भाषा सीख ली थी।

मुज़म्मिल–शाहीन की नज़दीकियाँ और आतंकी मॉड्यूल की फंडिंग

मुज़म्मिल ने स्वीकार किया कि उसकी नज़दीकी डॉक्टर शाहीन से अल फलाह यूनिवर्सिटी में ही बढ़ी थी। वह उससे उम्र में बड़ी थी और अच्छी आय भी कमाती थी। शाहीन ने मॉड्यूल के लिए लगभग 25 लाख रुपये अपने खाते से दिए थे।

मुज़म्मिल, उमर और एक साथी पहले तुर्की भी जा चुके थे जहाँ उन्होंने ट्रेनिंग ली और कुछ हैंडलर्स से मिले, जिनके असली नाम उन्हें नहीं बताए गए थे—सिर्फ ‘उकासा’ कोडनेम पता था।

नूंह और मेवात से खरीदा जा रहा था फर्टिलाइज़र

मुज़म्मिल ने बताया कि 2023 में वह, उमर और अदील लाल रंग की इको स्पोर्ट्स कार से नूंह–मेवात जाकर फर्टिलाइज़र खरीदते थे। डॉक्टर होने की वजह से अल फलाह कैंपस में उनके वाहनों की चेकिंग नहीं होती थी, इसलिए किसी को शक भी नहीं हुआ। वे TATP और ACETONE मिलाकर explosive तैयार कर रहे थे, और 2025 तक यह पूरा स्टॉक तैयार हो चुका था।

मुफ्ती इरफान की गिरफ्तारी ने तोड़ दिया पूरा प्लान

मुज़म्मिल के अनुसार, वे एक बड़ी खेप जम्मू-कश्मीर ले जाने वाले थे, जिसे सुरक्षाबलों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाना था। लेकिन अक्टूबर में तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद मुफ्ती इरफान का नाम सामने आया और 18 अक्टूबर को उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरा नेटवर्क बेनकाब हो गया। इरफान के फोन में बने ग्रुप ने सबकुछ खोल दिया।

उमर के फ्लैट में मौजूद डीपफ्रीजर का इस्तेमाल भी विस्फोटक का तापमान नियंत्रित करने के लिए किया जाता था। उसका सूटकेस हमेशा बम बनाने के सामान से भरा रहता था।