
राधा अष्टमी व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है, हिंदू धर्म में मान्यता है कि राधा रानी की पूजा के बिना श्री कृष्ण की पूजा अधूरी रहती है। इसलिए जब-जब श्री कृष्ण के नाम का स्मरण किया जाता है, तब-तब राधा रानी का नाम अवश्य लिया जाता है। अगर आपको लीलाधर कृष्ण और राधा रानी का विग्रह स्वरुप देखना है तो पूरी दुनिया में वृन्दावन के राधावल्लभ मंदिर दर्शनों के लिए जरुर जाइये। इस मंदिर का महत्त्व और महात्म्य दोनों अलौकिक है।
राधा अष्टमी व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का फल नहीं मिलता
मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का फल नहीं प्राप्त होता है। ऐसे में राधा अष्टमी के व्रत का महत्व कृष्ण जन्माष्टमी के समान महत्वपूर्ण हो जाता है। राधा अष्टमी व्रत भी राधा रानी के जन्मोत्सव पर रखा जाता है, जन्माष्टमी के पर्व के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण और राधा की विशेष पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 14 सितंबर 2021, मंगलवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को मनाया जाएगा। भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को राधा अष्टमी भी कहा जाता है।
राधा अष्टमी पर बन रहा है विशेष शुभ योग
14 सितंबर, मंगलवार को पंचांग के अनुसार ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा। ज्येष्ठा नक्षत्र इस दिन प्रात: 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगा, इसके बाद मूल नक्षत्र आरंभ होगा। राधा अष्टमी पर विशेष शुभ योग भी बन रहा है। इस योग को आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। यानि राधा अष्टमी का व्रत और पूजा इसी योग में की जाएगी।राधा अष्टमी व्रत का महत्वराधा अष्टमी का व्रत विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है। सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर राधा जी की विशेष पूजा करती हैं। इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
राधा अष्टमी का पर्व धन की समस्या करता है दूर
राधा अष्टमी का पर्व जीवन में आने वाली धन की समस्या की भी दूर करता है। राधा जी की इस दिन पूजा करने भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। राधा रानी आप सभी के जीवन में सुख संवृद्धि का आशीर्वाद दे, यही हमारी कामना है जय श्री राधे कृष्णा।
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