25 जुलाई से देश के नए राष्ट्रपति अपना पदभार संभालेंगे, इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष उम्मीदवारों के नाम तय करने में लगे हैं।  इन सब के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दोबारा  राष्ट्रपति बनने की बात से साफ इंकार कर दिया है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि उनका कार्यकाल समाप्त होने में केवल दो महीन बचे हैं। मैं उन अधिकारियों को वापस उनके मंत्रालयों और विभागों में भेज रहा हूं, जिन्होंने मेरे साथ काम किया है। एक को वाणिज्य मंत्रालय में और दो को विदेश मामले के मंत्रालय में भेजा गया है। राष्ट्रपति ने यह बात एक टी पार्टी में स्पष्ट की। यह पार्टी राष्ट्रपति की सचिव ओमिता पॉल ने नीदरलैंड में राजदूत नियुक्त किए गए राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमणि को विदा करने के लिए दी थी जिसमें विशेषरूप से मीडियाकर्मियों को बुलाया गया था। राजमणि अगले महीने नीदरलैंड में अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे। प्रणब मुखर्जी ने यह बात तब स्पष्ट की है जब कई राजनीतिक दल प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति पद का दूसरा कार्यकाल देने की कवायद में जुटे हुए हैं। जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। दोनों ओर से कई नाम चर्चा में हैं। इस दौरान नीतीश कुमार समेत विपक्ष के कई नेताओं ने प्रणब मुखर्जी को दोबारा राष्ट्रपति बनाने की बात कही है।

इस संदर्भ में कुछ विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अपील की है जिससे कि प्रणब मुखर्जी को दूसरी बार राष्ट्रपति बनाने को लेकर आम राय बनाई जा सके। यहां तक की कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने सकेंत दिए हैं कि सरकार द्वारा प्रणब मुखर्जी को दूसरा कार्यकाल देने पर विचार किया जाना चाहिए। ममता बनर्जी ने भी हाल ही में सोनिया से मुलाकात कर मुखर्जी के दूसरे कार्यकाल पर सहमति जताई थी, लेकिन प्रणब मुखर्जी के इस बयान से साफ कहा जा सकता है कि वह इस दौड़ से खुद को बाहर कर चुके हैं। अपनी मन की बात रखते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इतने व्यस्त राजनीतिक जीवन के बाद उनके मन में कई सवाल हैं कि क्या वह संवैधानिक नियमों के तहत फिर से काम कर पायेंगे।

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