केंद्र की मोदी सरकार युवाओं को बिजनेस शुरु करने के लिए मुद्रा योजना के तहत लोन देती है, लेकिन अब मुद्रा लोन में बढ़ते एनपीएन ने सरकार को असमंजस में डाल दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुद्रा लोन का एनपीएन अब 14 हजार 258 करोड़ का हो चुका है, यानि इस लोन को चुकाए जाने की संभावना बहुत कम है।

आपको बता दें कि इस मामले में बैंकों ने सरकार और आरबीआई को बताया है कि मुद्रा लोन में एनपीए और बढ़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों ने सरकार और आरबीआई से मुद्रा लोन को लेकर आगे के कदम पर दिशा-निर्देश मांगा है। बैंकों को सरकार और आरबीआई के अगले निर्देश का इंतजार है। लोन देने में गड़बड़ी की आशंका पर भी वित्त मंत्रालय जांच करने की तैयारी में है।

किशोर कैटेगरी में अब तक लोन पाने वालों की संख्या सिर्फ 1.3 फीसदी है। यानी 12 करोड़ 78 लाख लोगों में से सिर्फ 17 लाख 57 हजार लोगों को ही मोटी रकम का लोन मिला है। इसका मतलब है कि मुद्रा लोन लेकर कारोबार शुरू करने वालों की संख्या काफी कम है।

मामला सिर्फ एनपीए का नहीं है। मुद्रा लोन को लेकर स्वरोजगार के जो दावे किए जा रहे हैं, उसकी तस्वीर भी अच्छी नहीं है। मुद्रा योजना के तहत अब तक 12 करोड़ 78 लाख लोगों को लोन दिया जा चुका है।

ये लोन तीन अलग अलग कैटिगरी शिशु, किशोर और तरुण के तहत दिए गए। शिशु कैटिगरी के तहत 50 हजार रुपये तक, किशोर के तहत 5 लाख रुपये तक और तरुण के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं।

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