बिहार से अलग होकर बने झारखंड की राजनीति हमेशा से अपनी अलग दिशा में चलती रही है, लेकिन इन दिनों यहां भी हलचल तेज है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन हाल में दिल्ली पहुंचे थे, और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा फैल गई कि दोनों ने बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ गुप्त बैठकें की हैं। इसी बीच राज्यपाल संतोष गंगवार और गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात की तस्वीरों ने सियासी अटकलों को और हवा दे दी है।
दिल्ली में हलचल, रांची में बवाल
हेमंत सोरेन की दिल्ली यात्रा को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं, लेकिन खुद झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) इसे पूरी तरह अफवाह बता रहा है। JMM सांसद महुआ माझी का कहना है कि जब मुश्किल वक्त में हेमंत सोरेन जेल नहीं गए थे तो अब बीजेपी से हाथ मिलाने का सवाल ही नहीं उठता। उनका कहना है कि गठबंधन मजबूत है और सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
JMM–BJP दोनों ने गठबंधन की संभावना खारिज की
केवल JMM ही नहीं, झारखंड भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाह देव भी बार-बार दोहरा रहे हैं कि JMM और भाजपा एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत विचारधारा रखते हैं और दोनों पार्टियों का साथ आना असंभव है। JMM प्रवक्ता कुणाल सारंगी भी NDA में शामिल होने की अटकलों को बढ़ाचढ़ाकर फैलाई गई कहानी बता रहे हैं।
इधर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भी साफ कहा है कि हेमंत सोरेन भाजपा के आगे झुकने वालों में नहीं हैं और महागठबंधन की सरकार उनके नेतृत्व में चलती रहेगी। भाजपा पर “अफवाह फैलाने” का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड अपने संसाधनों से खुद राजस्व जुटाने में सक्षम है।
सोशल मीडिया पर जोरदार चर्चा
जमीनी स्तर पर भले ही दोनों पार्टियां इन दावों को नकार रही हों, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग दो हिस्सों में बंटे दिखाई दे रहे हैं। एक पक्ष यह मानता है कि जब सरकार स्थिर है, तब JMM के भाजपा के साथ आने की कोई वजह नहीं। वहीं दूसरा पक्ष तर्क दे रहा है कि राजनीति में कुछ भी नामुमकिन नहीं—आखिरकार हेमंत सोरेन पहली बार भाजपा सरकार में ही उपमुख्यमंत्री बने थे।
हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा: उतार-चढ़ाव से भरी कहानी
पहली बार चुनावी मैदान और हार
साल 2005 में शिबू सोरेन ने अपने बेटे हेमंत सोरेन को पहली बार दुमका सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वह JMM के ही बागी स्टीफन मरांडी से हार गए। यह वही समय था जब हेमंत अपने भाई की हत्या के बाद पढ़ाई छोड़कर राजनीति में आए थे।
दूसरी कोशिश में जीत और सत्ता की राजनीति
साल 2009 में उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार जीत दर्ज की। इसके बाद राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी और दो बार राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा।
अर्जुन मुंडा सरकार और उपमुख्यमंत्री की कुर्सी
- 2010 में BJP–JMM गठबंधन बना और अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने। हेमंत सोरेन पहली बार उपमुख्यमंत्री बने।
- लेकिन यह साझेदारी ज्यादा दिन नहीं चली—कुछ महीनों बाद हेमंत ने समर्थन वापस ले लिया और अर्जुन मुंडा सरकार गिर गई।
कांग्रेस के साथ नई सरकार
- इसके बाद JMM ने कांग्रेस और अन्य दलों के समर्थन से सरकार बनाई। 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
- हालांकि 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और भाजपा सत्ता में लौट आई।
2019 और 2024: लगातार दो बार वापसी
2019 और 2024 दोनों विधानसभा चुनावों में JMM-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने जीत हासिल की और हेमंत सोरेन फिर मुख्यमंत्री बने। फिलहाल वे सत्ता में हैं, लेकिन दिल्ली दौरे ने राजनीतिक चर्चा को गरमा दिया है।









