सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने सत्र से ठीक पहले आज सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें सभी दलों के बड़े नेता मौजूद थे। बैठक में पीएम मोदी ने सरकार की मंशा साफ करते हुए कठोर स्वर में कहा कि गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और ऐसे लोगों के ऊपर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने राज्य सरकारों और सभी राज्यों के पुलिस को सजग करते हुए कहा है कि वो फर्जी गौरक्षा मामलों में कठोर से कठोर कदम उठाएं। इसी के साथ सुमित्रा महाजन ने मानसून सत्र से पहले होने वाले बैठक में सभी राजनीतिक दलों से लोकसभा के कामकाज के ठीक से संचालन में सहयोग देने का आग्रह किया।
बैठक में पीएम मोदी सहित वित्त मंत्री अरुण जेटली, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार, संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, लोजपा नेता चिराग पासवान, एनसीपी नेता शरद पवार, मुलायम सिंह यादव , नरेश अग्रवाल, सीपीआई के डी राजा ,आरजेडी से जेपी यादव, एनसी से फारूख अब्दुल्ला समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से राष्ट्रपति चुनाव में भागीदारी की अपील की। पीएम ने बैठक में जीएसटी के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। साथ ही पूर्वोत्तर में आई भीषण बाढ़ का भी पीएम मोदी ने जिक्र किया। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वो महिलाओं के खिलाफ क्राइम, टेक्सटाइल वर्करों की हड़ताल और असम में बाढ़ जैसे मुद्दों को मानसून सत्र में उठाएगी। उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा पर कश्मीर पर जो हालात खराब हुए हैं उसमें सरकार ने बातचीत के सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं।
अमरनाथ आतंकी हमला समेत जम्मू कश्मीर की स्थिति, डोकलाम में चीन के साथ जारी गतिरोध, दार्जिलिंग में अशांति, गौ रक्षकों से जुड़ी घटनाओं समेत विभिन्न मुद्दों पर नेशनल कांग्रेस, वामदल, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों द्वारा सरकार को घेरने की मंशा स्पष्ट करने से संसद के सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र के हंगामेदार रहने की आशंका है।