आज विजय दिवस के मौके पर पूरा देश उन शहीदों को याद कर रहा है जिन्होंने 1971 के युद्ध में अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। उस दिन तिरंगे को अपने सीने से लगाए हमारे वीर सैनिक बहादुरी के साथ अपने देश के लिए ही नहीं इंसानियत के लिए भी लड़ रहे थे। इसी को याद करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि- , ‘‘हम विजय दिवस पर 1971 के युद्ध में लोहा लेने वाले और पूरी कर्मठता से देश की रक्षा करने वाले जवानों के अदम्य साहस को सलाम करते हैं।’’ यही नहीं आज कई भारतीय नेताओँ ने इस अवसर पर अमर जवान ज्योति पर 1971 की लड़ाई में शहीद होने वाले सैनिकों को विजय दिवस के मौके पर श्रद्धांजलि दी।
On #VijayDiwas we salute the unflinching courage of all those who fought in 1971 and protected our nation diligently. Every Indian is proud of their heroism and service.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2017
कांग्रेस के नए अध्यक्ष बने राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर वीर जवानों को याद किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘विजय दिवस पर, हम भारतीय सेना के बहादुर जवानों को सलाम करते हैं। हम 1971 के युद्ध के शहीदों के साहस और त्याग को सलाम करते हैं। हम सभी अपने सैनिकों की वीरता याद रखें, जो हर दिन भारत की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।’
On #VijayDiwas, we salute the indomitable spirit and sacrifice of the martyrs of 1971 War.
— Office of RG (@OfficeOfRG) December 16, 2017
Let each one of us remember the unfathomable valour of our soldiers, who defend India’s freedom every day.
इसी के साथ देश की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख सुनील लांबा और एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोहा ने अमर जवान ज्योति पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
बता दें कि 1971 में आज के ही दिन पाकिस्तान के साथ युद्ध का अंत हुआ था और बांग्लादेश का जन्म हुआ था। पाकिस्तान में 1971 के समय जनरल याह्या खान राष्ट्रपति थे और उन्होंने पूर्वी हिस्से में फैली नाराजगी को दूर करने के लिए जनरल टिक्का खान को जिम्मेदारी दी। उसने दबाव से मामले को हल करने के प्रयास किये, जिससे हालात पूरी तरह खराब हो गए। पाकिस्तान के इस हिस्से में सेना एवं पुलिस की अगुआई में नरसंहार हुआ। पाकिस्तानी फौज का निरपराध, निहत्थे लोगों पर अत्याचार जारी रहा जिससे लोगों का पलायन आरंभ हो गया। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पूर्वी पाकिस्तान की स्थिति सुधारने की अपील की। लेकिन किसी देश ने ध्यान नहीं दिया। जब वहां के विस्थापित लगातार भारत आते रहे तो अप्रैल 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर बांग्लादेश को आजाद कराने का फैसला किया।