प्रसिद्ध योगगुरु और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित बाबा शिवानंद का शनिवार रात (3 मई 2025) को वाराणसी में निधन हो गया। अनुयायियों के अनुसार बाबा शिवानंद की उम्र 128 वर्ष थी। उन्हें 30 अप्रैल को बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के चलते उन्होंने अंतिम सांस ली।
बचपन में ही झेली थी भूख और अनाथता की पीड़ा
8 अगस्त 1896 को सिलहट (अब बांग्लादेश) में जन्मे बाबा शिवानंद ने मात्र 6 वर्ष की उम्र में माता-पिता को भुखमरी के कारण खो दिया था। इसके बाद उनका पालन-पोषण उनके गुरु ओंकारानंद ने किया। कठिन जीवन की चुनौतियों के बीच उन्होंने संयम, सादगी और आत्मानुशासन की राह अपनाई।
योग, संयम और सेवा का जीवन बना प्रेरणा
बाबा शिवानंद ने जीवनभर उबला भोजन, प्रातः 3 बजे उठकर योग, और सादा जीवन का पालन किया। वे ज़मीन पर चटाई पर सोते थे और घरेलू कार्य भी स्वयं करते थे। उनका कहना था कि संयमित दिनचर्या ही दीर्घायु का रहस्य है। 2022 में उन्हें योग और अध्यात्म में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वाराणसी में अंतिम दर्शन को उमड़े श्रद्धालु
उनका पार्थिव शरीर कबीरनगर कॉलोनी स्थित आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां श्रद्धालुओं और अनुयायियों की भीड़ उमड़ पड़ी। उनके अनुयायियों ने बताया कि शनिवार शाम को अंतिम संस्कार संपन्न किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा शिवानंद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए अपने सोशल मीडिया पर एक्स अकाउंट से पोस्ट कर्क लिखा, “योग और साधना को समर्पित उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेगा। उनका निधन काशी और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “काशी के वंदनीय ‘पद्मश्री’ स्वामी शिवानंद जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनका योगमय जीवन समाज के लिए प्रकाशस्तंभ रहा। मैं बाबा विश्वनाथ से उनकी आत्मा की शांति और अनुयायियों को शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।”
अनुशासन और आध्यात्म का प्रतीक बनी रही उनकी साधना
बाबा शिवानंद का जीवन शरीर और आत्मा की साधना का संगम था। उनका अनुशासन, योग, संयम और सादगी आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा दे रहा है। उनका जाना एक युग का अंत है, लेकिन उनकी शिक्षाएं जीवन का मार्गदर्शन करती रहेंगी।