नार्वे के पूर्व प्रधानमंत्री के मंगने बोंडेविक की कश्मीर यात्रा विवादों में घिरती दिख रही है। दरअसल बोंडेविक ने अपनी इस यात्रा के दौरान कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात की थी। इसे लेकर नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से इस यात्रा पर चीजें साफ करने को कहा है। उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, ‘नार्वे के नेता कश्मीर में क्या कर रहे हैं? क्या विदेश मंत्री) सुषमा स्वराज या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जी नार्वे के पूर्व प्रधानमंत्री की विभाजित राज्य के दोनों ओर (कश्मीर और पाक के कब्जे वाले कश्मीर) यात्रा सही कॉन्टेक्स्ट में कराने की सोच रहे हैं, या हमें अफवाहों और कयासों पर भरोसा करना चाहिए।’
What are the Norwegians up to in Kashmir? Would either @SushmaSwaraj ji or Doval ji care to put the visit of the former Norwegian PM to both sides of the divided state in the correct context or do we have to rely on rumours & conjecture?
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 26, 2018
वहीं बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी बोंडेविक के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री जम्मू- कश्मीर की यात्रा पर विदेश मंत्रालय कार्रवाई करे या फिर मुझे इस यात्रा की पहल करने वाले अफसर के इस्तीफे की मांग करनी होगी।’
Either MEA comes out with corrective action on the Norwegian ex PM visit to J&K or I will have to demand resignation of the person in the bureaucracy who initiated this visit.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) November 26, 2018
दरअसल नार्वे के पूर्व प्रधानमंत्री ने बीते शुक्रवार को वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक से मुलाकात की थी। अलगाववादियों ने एक बयान में कहा कि गिलानी और मीरवाइज ने पूर्व प्रधानमंत्री से कहा कि चूंकि उनके देश (नार्वे) का संघर्ष का समाधान करने में सकारात्मक भूमिका निभाने का इतिहास रहा है, इसलिए नार्वे सरकार को कश्मीर के जटिल मुद्दे का हल करने की गंभीर कोशिश करनी चाहिए ताकि लोगों की परेशानी कम हो सके और दक्षिण एशिया में स्थायी शांति सुनिश्चित हो सके।
बयान के मुताबिक अलगाववादी नेताओं ने बोंडेविक को कश्मीर की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी और इसे बहुत ही संवेदनशील तथा नाजुक बताया। बयान में दावा किया गया है कि बोंडेविक नीत शिष्टमंडल ने अलगाववादी नेताओं को भरोसा दिलाया कि वे यह सुनिश्चित कराने की कोशिश करेंगे कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सतत और नतीजे देने वाली वार्ता शुरू हो ताकि कश्मीर मुद्दे का सौहार्द्रपूर्ण हल निकल सके