मोदी सरकार ने ‘आधार’ को सबसे सुरक्षित और बेहतर आईडी प्रुफ कहा है। लेकिन अब इसकी सुरक्षा में कुछ खामियां देखने को मिली हैं जिसके बाद अब इसको दूर करने के लिए तीसरे विकल्प को लाया जाएगा। दरअसल, यूआईडीएआई के मुताबिक  कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जब कुछ बुजुर्गों के उम्र की वजह से या फिर खेती या ज्यादा काम करने के कारण उनके फिंगरप्रिंट मिट गए हैं और उन्हें आधार ऑथेंटिकेशन से बाहर कर दिया गया। ऐसे में यह आवश्यक हो गया कि कोई तीसरा विकल्प भी ऑथेंटिकेशन के लिए होना चाहिए। इसलिए अब यूआईडीएआई ने एक नए कदम की घोषणा की है। इसके तहत जिन सर्विसेज में सत्यापन के लिए आधार की जरूरत पड़ती है, उनमें स्पॉट लाइव फोटो (मौके पर फोटो लेना) लेकर फेशियल रिकॉगनिशन (चेहरे से पहचान) को जरूरी करने की बात है।

ऐसे में आधार के किसी भी इस्तेमाल के लिए अब चेहरे की पहचान होना भी जरूरी होगा। नए सिम, बैंक आदि में पहचान पत्र के तौर पर दिए जाने वाले आधार के साथ यह नया फीचर भी लागू होने वाला है। व्यक्ति की पहचान के सत्यापन की एक अतिरिक्त विधि के अंतर्गत फोटो का चेहरे से मिलान करने सुविधा चरणबद्ध तरीके से शुरू करने की घोषणा की है। यह सुविधा दूरसंचार कंपनियों के साथ 15 सितंबर को शुरू की जा रही है। इसके बाद इसे बैंक खाता खुलवाने, राशन लेने और ऑफिस में हाजिरी के लिए भी प्रयोग में लाया जाएगा।

बता दें कि नियमित सत्यापन के साथ फेशियल रेकग्निशन एक अतिरिक्त फीचर के रूप में होगा। नियमित सत्यापन में फिंगरप्रिंट और आइरिस (आंखों) के स्कैन का इस्तेमाल किया जाता है। UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि यह नया ऑथेंटिकेशन प्रॉसेस चरणबद्ध तरीके से लागू होगा और शुरुआत में सिम कार्ड के लिए इसे लागू किया जाएगा।

 

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