भारत चीन सीमा विवाद लंबे समय बाद सुलझ गया है। पिछले एक साल से चल रही इस लड़ाई को नौं दौर की वार्ता के बाद सुलझाया गया। पैंगोंग त्सो झील से दोनों देश की सेनाएं पीछे हट गई हैं। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने लेह में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि, साल 2020 में अगस्त के आखिर में लद्दाख के कैलाश रेंज में युद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी। 29 अगस्त को हालात बेहद खराब थे। दोनों देश की सेनाएं लगभग युद्ध के लिए तैयार थी।

वे आगे कहते हैं, चीन भारतीय सेना द्वारा अपने कब्जे में ली गई अपनी चोटियों को वापस लेने के लिए आगे बढ़ रहा था। जनरल ने बताया कि 31 अगस्त को हमने वास्तविक नियंत्रण रेखा की कैलाश रेंज पर अपने सैनिकों व टैंकों को किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार रखा था। हमारा पलड़ा भारी था। चीन की सेना के टैंक ढ़लानों से आगे आ रहे थे। कुछ भी हो सकता था। ऐसे हालात में युद्ध टला जब विकट हालात पैदा हो गए थे।
साथ ही उन्होंने कहा कि, गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून को जो घटना घटी उसमें हताहतों की संख्या 45 तक हो सकती थी। समय को देखते हो मामले को सुलझा लिया गया। जोशी ने आगे कहा कि, ये समय हमारे लिए काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण था।
वहीं गलवन में चीन सेना को हुए नुकसान पर जीओसी इन सी ने बताया कि हमारी सेना ने चीन के करीब 60 सैनिकों को स्ट्रेचर पर डाल कर ले जाते देखा था। अलबत्ता उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कहा नही जा सकता है कि स्ट्रेचर पर डाले कर ले जा गए चीनी सैनिक घायल थे या उनकी मौत हो गई थी।
बता दें कि, 15-16 जून के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा चीनी सैनिक पार करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय सैनिकों ने जवाबी कार्यवाही में उन्हें रोकने की कोशिश की जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे और चीन के 43 जवान घायल थे।