दुनिया में सबसे अधिक 502 मेडिकल कॉलेज भारत में हैं लेकिन एक अरब तैंतीस करोड़ की आबादी वाले देश में मात्र आठ लाख 63 हज़ार डॉक्टर ही उपलब्ध हैं। इस तरह डेढ़ हज़ार की आबादी पर एक डॉक्टर हैं। सरकार मरीजों पर डॉक्टरों की कमी को देखते हुए देश के 82 जिलों में नए मेडिकल कालेज खोलने जा रही है और स्नातक तथा स्नात्तोकोत्तर कक्षाओं की सीटें भी बढ़ाने जा रही है।
खेल एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया में कुल दस लाख अठहत्तर सात सौ बत्तीस एलोपैथिक डॉक्टर दर्ज हैं लेकिन केवल आठ लाख 63 हज़ार डॉक्टर ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं यानी बीस प्रतिशत डाक्टर प्रैक्टिस नही करते हैं। सूत्रों के अनुसार देश के 502 मेडिकल कॉलेजों में सत्तर हज़ार चार सौ बारह सीटें हैं। इनमें पिछले पांच साल में 118 नये कॉलेज बने हैं और इनसे 18 हज़ार 635 सीटों की वृद्धि हुई है।
सूत्रों के अनुसार एलोपेथिक डॉक्टरों के अलावा सात लाख 63 हज़ार होम्योपैथिक एवं आयुर्वेद डॉक्टर भी देश में हैं।
इनमें छह लाख दस हज़ार डाक्टर ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। इस तरह एक मरीज़ पर 902 डॉक्टर उपलब्ध हैं जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से अधिक हैं क्योंकि ये मानक एक हज़ार मरीज़ पर एक डॉक्टर का है। सूत्रों के अनुसार देश में 502 मेडिकल कालेजों में 257 निजी मेडिकल कॉलेज हैं और सरकारी 245 कॉलेज हैं। सबसे अधिक मेडिकल कॉलेज 25 तमिलनाडु में 23 महाराष्ट्र में 18 कर्णाटक में हैं जबकि उत्तरप्रदेश और गुजरात में 17-17 कॉलेज और बिहार में मात्र छह मेडिकल कालेज हैं।
इसी तरह सबसे अधिक निजी मेडिकल कॉलेज 39 कर्नाटक मे, 31 उत्तर प्रदेश में , 28 महाराष्ट्र में ,तमिलनाडु और केरल में 24 -24 कॉलेज हैं । बिहार में केवल चार कॉलेज ही हैं।
सूत्रों के अनुसार सबसे अधिक डॉक्टर 158998 महाराष्ट्र में, 127848 डॉक्टर तमिलनाडु में , 104794 डाक्टर कर्नाटक में एवं बिहार में 40649 डॉक्टर हैं। छत्तीसगढ़ में केवल 7489 डॉक्टर हैं। सबसे कम 801 डॉक्टर नागालैंड में हैं।
साभार-ईएनसी टाईम्स