उत्तराखंड की मौजूदा सरकार हो या फिर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार…खनन और शराब नीति हमेशा से ही इन दोनों सरकारों में सुर्खियों में छाई रही है…बीजेपी की सरकार बनने के बाद अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए भरसक कोशिश करने के बड़े-बड़े दावे किये गए…खनन को लेकर स्पष्ट नीति बनाने का दावा किया गया…लेकिन, मौजूदा समय में यह दोनों ही नीतियां सरकार के लिए सिरदर्द तो विपक्ष के लिए मरहम का काम कर रही है…ऐसे में सरकार ने एक तरफ खनन के माध्यम से राजस्व बढ़ाने का नया खेल खेला…वहीं नए फैसले से खनन माफिया मौज में हैं…

ऐसे में एक बार फिर सरकार ने खनन को लेकर दिलचस्पी दिखाते हुए खनन की नियमावली में बड़े बदलाव किए हैं…ऐसे में  सरकार ने खनन का दायरा बढ़ाते हुए खनन व्यवसाइयों को  नया तोहफा दिया है…प्रदेश सरकार के निर्देश पर पुल से 1 किलोमीटर के दायरे में लगे खनन पर रोक हटाते हुए अब इसे 300 मीटर में तब्दील कर दिया है…जिस पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं…क्योंकि, उत्तराखंड में अवैध खनन जोरों पर है और खनन माफियाओं को गोली चलाने और जान लेने तक से परहेज नहीं है…

त्रिवेंद्र सरकार की खनन की नई नियमावली के बारे में प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन ने बताया कि, कई ऐसे इलाके हैं जहां खनन किसी वजह से नहीं हो पा रहा था लेकिन मानकों में तब्दीली होने के बाद खनन हो सकेगा…हालांकि इस फैसले से जहां खनन में बढ़ोतरी आएगी और राजस्व बढ़ेगा वहीं अवैध खनन पर भी शासन और प्रशासन को पैनी नजर रखनी पड़ेगी…क्योंकि, पुल के 300 मीटर के दायरे में खनन प्रक्रिया शुरू होने से अवैध खनन का और जोर पकड़ना तय है…क्योंकि, उत्तराखंड में खनन की नई नियमावली आने से पहले ही खनन माफिया बेखौफ होकर पुलों के करीब खनन कर रहे हैं…जिससे कई पुलों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहे हैं…

इससे साफ है कि, एक तरफ त्रिवेंद्र सरकार ने खनन के माध्यम से राजस्व बढ़ाने का तो नया खेल खेल दिया है लेकिन इसमें सरकार के हिट विकेट होने की ही संभावना ज्यादा दिखती है…वहीं त्रिवेंद्र सरकार की शराब नीति भी सवालों के घेरे में है…जिसमें शराब के दामों में इजाफा कर दिया गया है…इससे पड़ोसी राज्यों हरियाणा, यूपी और हिमाचल से सस्ती शराब की तस्करी उत्तराखंड में बढ़नी तय है…ऐसे में सवाल यही कि, क्या सरकारी खजाने में इजाफा करने की सरकारी भूख माफियाओं और तबाही को बढ़ावा नहीं दे रही है…

-ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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