किसानों की हड़ताल 6 दिन तक पहले महाराष्ट्र में चली और अब यह आग पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश को जला रही है। कल मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में कर्ज माफी समेत कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान हिंसक हो गए।यह हिंसा इतनी बढ़ी कि पुलिस को गोली चलानी पड़ गई जिसमें 5 किसानों की जान भी चली गई। अब बेकाबू  हालात को देखते हुए प्रदेश सरकार ने मंदसौर शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। अफवाहों को रोकने के लिए जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है और शिवराज सरकार ने  हिंसा में मारे गए किसानों के परिजनों को दस-दस लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है।

Farmer in MPआपको बता दें कि अब इस आंदोलन पर सियासत हावी हो गई है। कर्जमाफी और फसल के वाजिब दाम की मांग को लेकर मध्‍य प्रदेश में किसानों का आंदोलन जारी है और इसमें अब कांग्रेस भी शामिल होने जा रही है। गोलीबारी के विरोध में किसान संगठनों के साथ कांग्रेस ने आज मध्य प्रदेश बंद का एलान किया है। वहीं कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी भी पीडि़तों के परिवार से मिलने के लिए मंदसौर  पहुंच गए हैं पर राज्य सरकार ने हालात को देखते हुए उन्हें आगे जाने की इजाजत नहीं दी है।

किसानों पर हुई हिंसा को देखते हुए राहुल ने सरकार की आलोचना की है।  राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा है कि  ‘भाजपा के न्यू इंडिया में किसान अपना अधिकार मांग रहे हैं और बदले में उन्हें गोलियां मिल रही हैं।’ वहीं कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि “जो हमें खाना खिलाते हैं, सरकार उन्हें गोली खिला रही है।”

हालांकि गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपने बयान में कहा था कि  किसानों पर गो‍लियां पुलिस ने नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों और षड्यंत्रकारियों ने चलाईं है।  वहीं, मंदसौर जिले की प्रभारी मंत्री अर्चना चिटनीस ने घटना को सियासी साजिश बताते हुए मादक पदार्थ तस्करों और कांग्रेस को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। तो मुख्‍यमंत्री शिवराज चौहान ने पूरी घटना के न्‍यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

अगर इस आंदोलन की जड़ को देखें तो पता चलेगा कि इसकी शुरुआत महाराष्ट्र से 6 दिन पहले ही हुई थी। वहां चंद्रपुर में एक गांव के लोगों ने पंचायत करके यह फैसला लिया कि वे बहिष्कार करेंगे।  किसानों की शिकायत इस बात को लेकर थी कि नरेंद्र मोदी ने अपने घोषणा पत्र में जो वादा किया था वो उस पर काम नहीं कर रहे हैं।  मोदी ने अपने वादे में कहा था कि वे किसानों को उनकी फसल की लागत और 50 फीसदी मुनाफे के साथ एमएसपी तय कर के देंगे लेकिन तीन साल का जश्न मनाने के अलावा आज तक मोदी सरकार ने इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया है।

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