गांधी जयंती के दिन स्वच्छता अभियान को लेकर पीएम मोदी ने देशवासियों और विपक्षियों से आग्रह किया कि सामाजिक उत्थान के मामलों को मजाक में न लें और न ही इसमें राजनीति करें। पीएम ने कहा कि अगर एक हजार महात्मा गांधी आ जाएं, एक लाख नरेंद्र मोदी आ जाएं, सभी मुख्यमंत्री मिल जाएं, सभी सरकारें मिल जाएं, तो भी स्वच्छता का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता है। लेकिन अगर सवा सौ करोड़ देशवासी आ जाएं, तो देखते ही देखते सपना पूरा हो जाएगा।  प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचनाओं के बावजूद सरकार स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने में जुटी रही। उन्होंने कहा, तीन साल तक हम बिना हिचकिचाए इस काम में लगे रहे। पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम स्वच्छता को अपना धर्म मान लें तो एक-एक गरीब परिवार के 50 हजार रुपये बचाए जा सकते हैं, जिसे वे बीमारी के इलाज पर खर्च कर देते हैं। श्रेष्ठ भारत का शस्त्र है स्वच्छता।

गांधी जी भले ही इस दुनिया में न हो लेकिन उनकी सोच हमेशा जिंदा रहेगी। ये उनकी सोच का ही परिणाम है कि आज पूरा भारत स्वच्छता के प्रति सजग हुआ है। उनके व्यक्तित्व की खास बात ये थी कि वो जो भी काम दूसरों से करने के लिए कहते थे, वो काम सबसे पहले अपने जीवन में अपनाते थे। यही वजह थी कि पूरा देश उस समय भी उनसे प्रभावित था तथा उनकी बातें सुनता था और आज भी पूरा देश उनकी बातों का आदर करता है।

स्वच्छता को लेकर पीएम मोदी का एक वीडियो वॉयरल हो रहा है जिसमें उन्होंने टिशू पेपर से हाथ पोछकर उसको अपने जेब में डाल लिया। ये वीडियो उस समय का है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दशहरे के मौके पर रावण दहन हेतु दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे थे। उन्होंने यहां आरती की और प्रसाद खाया। इसके बाद जब अपने हाथों को टिशू पेपर से साफ किया तो टिशू पेपर अपनी जेब में ही रख लिया।

पीएम मोदी द्वारा चलाया गया स्वच्छता अभियान आज देशव्यापी आंदोलन में तब्दील हो गया है। सफाई को लेकर अब आम आदमी भी सजग हो गया है। अब वो भी किसी चीज को अनुचित जगह फेंकने से पहले 10 बार सोचता है। पहले लोग किसी चीज को कहीं भी फेंकने में संकोच नहीं करते थे लेकिन अब वो इस बात की फिक्र करते हैं। पीएम मोदी की यह क्रिया देशवासियों के लिए एक मिसाल है। राजनीतिक लाभ के लिए भले ही भाजपा स्वच्छता, टॉयलेट, उज्जवला जैसी योजनाओं को भुनाए। लेकिन पीएम मोदी ने यह साबित किया है कि इन योजनाओं को उन्होंने खुद भी कितना आत्मसात किया है।