उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने अब वैष्णों देवी के त्रिकुटा पर्वत के जंगलों को भी अपने आगोश में ले लिया है। मंगलवार को त्रिकुटा पर्वत के जंगलों में लगी आग गुरूवार को भी बरकरार है, जिसे देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से कटरा से यात्रा बंद कर दी गई है। आग पर काबू पाने के लिए श्राइन बोर्ड प्रशासन, आपदा प्रबंधन दल दमकल विभाग पुलिस और सीआरपीएफ के जवान लगातार जुटे हुए हैं। हेलीकॉप्टरों की मदद से आग बुझाने की कवायद की जा रही है। आग को देखते हुए वैष्णोदेवी की यात्रा पर रोक लगा दी गई है। लेकिन अर्धकुंवारी और बाणगंगा में मौजूद श्रद्धालुओं को माता के भवन में दर्शन के लिए भेजा जा रहा है। आग के कारण हजारों श्रद्धालु यात्रा के बीच में ही फंस गए हैं।
बताया जा रहा है कि यह आग माता के भवन के नजदीक लगी है। जब देर शाम तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका तो माता के भवन की ओर जाने वाले बैट्री-रिक्शाओं पर रोक लगा दी गई है। बता दें वैसे यह पहला मौका नहीं है जब त्रिकुटा के जंगलों में आग लगी है। हर साल गर्मियों में त्रिकुटा की पहाड़ियों पर आग लगने की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
इस बारे में मौसम विभाग का कहना है, कि अभी कई और दिनों तक गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखाएगी। मौसम गर्म होने के कारण ही आग लगातार फैलती जा रही है। हालांकि आग से अभी तक से किसी के हताहत होने की खबर नहीं हैं। वही प्रशासन का कहना है कि जैसे ही आग पर काबू पा लिया जाएगा, वैसे ही यात्रा को फिर से शुरू कर दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि आग ने त्रिकुटा पर्वत के करीब 2 किलोमीटर क्षेत्र की वन संपदा को नुकसान पहुंचाया है। वहीं, श्राइन बोर्ड के डिप्टी सीईओ दीपक कुमार ने इस बारे में बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर यात्रा रोक दी गई है। आग पर काबू पाने के प्रयास लगातार जारी हैं। और साथ ही आग लगने के कारणों की भी जाँच की जा रही है।जानकारी के मुताबिक, आगजनी की घटना बीती देर रात तारा कोट मार्ग से करीब 1 किलोमीटर दूर गुड्डी धार क्षेत्र से हुई और तेज हवाओं के कारण देखते ही देखते 1 किलोमीटर का क्षेत्र आग के कब्जे में आ गया। जिससे वन संपदा जलकर राख हो गई।