चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाख़िल कर आपराधिक मामलों में दो साल से ज्यादा सजा काट रहे नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने की बात कही है। आयोग ने अपने हलफ़नामे में ऐसे नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की बात भी कही है। अपने हलफनामे के पीछे दिए गए तर्क में आयोग ने इसे राजनीति में अपराधीकरण पर रोक लगाने वाला कदम बताया है।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में यह हलफ़नामा बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय के उस याचिका के जवाब में दाख़िल की है जिसमे नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाने के साथ सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। बीजेपी नेता ने अपनी याचिका में चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित करने के साथ जस्टिस वेंकटचलैया आयोग के सुझावों को तत्काल लागू करने की मांग भी की थी।
चुनाव आयोग ने हलफ़नामा दायर करते हुए कोर्ट में कहा कि उसने चुनावों में अपराधी प्रवृति के लोगों को रोकने के लिए कानून मंत्रालय को प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन वो अभी विचाराधीन हैं। आयोग ने अपने जवाब में पेड न्यूज पर प्रतिबंध लगाने, चुनाव से 48 घंटे पहले प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों पर प्रतिबंद्ध लगाने, घूस लेने को संज्ञानीय अपराध बनाने और चुनाव खर्च के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव शामिल करने की बात भी कही है। हालांकि चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित किए जाने की मांग पर चुनाव आयोग का कहना है कि ये उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है इसे लेकर विधायी कानून बनाया जा सकता है।
चुनाव आयोग के इस हलफ़नामे पर जल्द सुनवाई हो सकती है। इस मामले में अगर सर्वोच्च न्यायालय आयोग और बीजेपी नेता की मांगों को मान लेता है तो ऐसे में आपराधिक मामलों का सामना कर रहे नेताओं के लिए राजनीति में प्रवेश के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जायेंगे। फिलहाल आपराधिक मामलों में दो साल से ज्यादा सजा पा चुके नेताओं के छः साल तक चुनाव लड़ने पर रोक है। ऐसे मामले की बात करें तो राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और तमिलनाडु से नेता शशिकला नटराजन सजायाफ्ता हैं। दोनों को दो साल से ज्यादा की सजा मिली है ऐसे में यह बड़े नेता छः साल तक किसी भी तरह के चुनाव लड़ने में अक्षम हैं।