कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से चुनावी बिगुल फूंक दिया है। चुनाव पास आते-आते लोक-लुभावन वादों की शुरूआत भी हो जाएगी। ऐसे में कर्नाटक के अल्पसंख्यकों और किसानों के लिए खुशखबरी है। दरअसल, कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार अल्पसंख्यकों, किसानों और प्रो-कन्नड़ समर्थकों के खिलाफ दंगों के दौरान दायर पुराने आपराधिक केस वापस लेने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार के इस फैसले से बीजेपी में काफी रोष है और वह इसकी खिलाफत कर रही है। बीजेपी ने सीधे तौर पर सीएम सिद्धारमैया को हिंदू विरोधी बताया है। इसके साथ ही भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए इसे चुनाव के पहले अल्पसंख्यकों को रिझाने की कोशिश करार दिया है।

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की आहट के बीच राज्य की सिद्दारमैया सरकार के नए सर्कुलर से राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। बीजेपी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के. सिद्धारमैया को अल्पसंख्यकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने को मुद्दा बनाया है।  बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक प्रभारी मुरलीधर राव ने अपने ट्वीट में लिखा है कि  “ये है कर्नाटक सरकार का सर्कुलर, निर्दोष मुसलमानों को रिहा करने के लिए। कांग्रेस का मकसद बीजेपी कार्यकर्ताओं को भयभीत करके चुनावों में फायदा उठाने का है।”

इसके जवाब में  विधान परिषद सदस्य रिजवान अरशद ने कहा कि “बीजेपी किस मुंह से यह सवाल उठा रही है। उसके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने साथ-साथ 20000 कार्यकर्ताओं से जुड़े मामले वापस लिए। इसके साथ ही सीएम सिद्धारमैया ने सफाई देते हुए कहा कि दंगों के दौरान दर्ज हुए ऐसे केस सिर्फ अल्पसंख्यकों के नहीं, बल्कि किसानों और कन्नड़ समर्थकों के केस वापसी पर भी जानकारी मांगी गई है और वो भी ऐसे केस जिसमें कोई संगीन मामला न हो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here