जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने वाले वे देश के पहले बौद्ध समुदाय से आने वाले व्यक्ति हैं। इसके साथ ही, वह अनुसूचित जाति समुदाय से इस पद तक पहुंचने वाले दूसरे व्यक्ति बन गए हैं — उनसे पहले यह उपलब्धि पूर्व CJI के. जी. बालाकृष्णन को मिली थी।
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ न्यायाधीशों के अलावा जस्टिस गवई की मां और अन्य पारिवारिक सदस्य मौजूद रहे। उनका कार्यकाल लगभग छह महीनों का रहेगा, जो कि 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्ति के साथ समाप्त होगा।
24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके पिता रामकृष्ण गवई राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सांसद और तीन राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं। जस्टिस गवई ने 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपनी न्यायिक यात्रा शुरू की थी, और 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया।
अपने छह साल के सुप्रीम कोर्ट कार्यकाल में उन्होंने कई अहम और ऐतिहासिक फैसलों में भाग लिया। बुलडोजर कार्रवाई को लेकर उन्होंने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश तय किए, जिनके अनुसार किसी संपत्ति पर कार्रवाई से पहले नोटिस देना और 15 दिन का समय देना अनिवार्य होगा।
हैदराबाद के कंचा गचीबाउली में 100 एकड़ जंगल की अंधाधुंध कटाई पर उन्होंने सरकार से सख्त जवाब मांगा और चेताया कि यदि जंगल को पुनर्स्थापित करने में अधिकारी बाधा बनते हैं, तो उनके लिए वहीं अस्थायी जेल बन सकती है।
SC आरक्षण में उप-वर्गीकरण को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक निर्णय में भी वे शामिल थे। इस फैसले में उन्होंने यह भी कहा था कि जिन लोगों ने आरक्षण से पर्याप्त लाभ प्राप्त कर लिया है, उन्हें आगे अवसर उन लोगों के लिए छोड़ना चाहिए जिन्हें अब भी मदद की ज़रूरत है।
अनुच्छेद 370 को हटाने के समर्थन में फैसला देने वाली पीठ में भी वे शामिल थे, जो जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने से संबंधित था। नोटबंदी और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे बड़े संवैधानिक मामलों में भी उनकी भूमिका अहम रही।
जस्टिस बी.आर. गवई का चयन और उनका अब तक का योगदान भारतीय न्यायपालिका में विविधता, समावेशिता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ता है।
            








