जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार व उमर खालिद की पीएचडी सस्पेंड हो गई है। बता दें कि जेएनयू कैंपस में 9 फरवरी 2016 को देश विरोधी नारे लगाने के मामले में कन्हैया कुमार और उमर खालिद की पीएचडी को निष्कासित किया गया है। वहीं, तीसरा आरोपी अनिर्बन पीएचडी पूरी कर 2017 में कैंपस छोड़ चुका है।

पांच सदस्यों वाली उच्चस्तरीय कमेटी ने 11 अप्रैल 2016 की रिपोर्ट बरकरार रखते हुए दूसरी रिपोर्ट प्रबंधन को सौंप दी है। इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर प्रबंधन फैसला लेगा।

सूत्रों के मुताबिक, कमेटी ने पहली रिपोर्ट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बन को दो-दो सेमेस्टर निलंबित करने की सिफारिश की थी। इसी सिफारिश को बरकरार रखा गया है। जिसके बाद दोनों की पीएचडी डिग्री सस्पेंड हो गई है। दरअसल, कन्हैया पीएचडी में चौथे वर्ष का छात्र है। जबकि खालिद को एक साल का एक्सटेंशन मिला हुआ है।

इसके अलावा कन्हैया कुमार पर पूर्व में एक अन्य मामले में भी दोषी पाए जाने और चेतावनी के बाद भी सुधार न होने पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। सूत्रों का कहना है कि कमेटी ने सुझाव में जुर्माना राशि कम करने का विकल्प भी दिया है। बता दें कि रिपोर्ट में कुल 21 में 19 अन्य आरोपियों को भी सजा देने की सिफारिश की गई है।

बता दें कि 9 फरवरी 2016 को संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के तीन साल पूरे होने पर जेएनयू कैंपस में छात्रों के एक समूह ने अफजल और जेकेएलफ के को-फाउंडर मकबूल भट की याद में ”द कंट्री ऑफ अ विदाउट पोस्‍ट ऑफिस” नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें तत्‍कालीन जेएनयू छात्रसंघ अध्‍यक्ष और उपाध्‍यक्ष समेत कई छात्र मौजूद थे। इसमें उन्होंने राष्ट्रविरोधी नारे लगाए थे।

इन कथित राष्‍ट्रविरोधी नारों के बाद  इस  कमेटी का गठन किया गया था। पांच सदस्यीय पैनल ने अनुशासन का उल्लंघन करने पर यूनिवर्सिटी के 13 अन्य छात्रों पर जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद छात्रों ने दिल्ली हाई‍कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था अदालत ने यूनिवर्सिटी को पैनल के फैसले की समीक्षा के लिए मामला किसी अपीलीय अधिकारी के सामने रखने का निर्देश दिया था।

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