यूपीए-2 के शासनकाल में पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन के चेन्नई स्थित परिसरों पर शनिवार को सीबीआई ने छापेमारी की है। आरोप है कि उन्होंने मंत्री रहने के दौरान नियमों का उल्लंघन करते हुए खनन के लिए वनभूमि की स्थिति बदलने की मंजूरी दी थी। बता दें कि केंद्रीय एजेंसी ने जयंती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद ये कार्रवाई की है।
दरअसल मामला 2012 में वन संरक्षण अधिनियम का कथित रूप से उल्लंघन करते हुए खनन कंपनी इलेक्ट्रोस्टील को झारखंड के सिंहभूम जिले के सारंदा वन के वन भूमि की स्थिति बदलने के लिए मंजूरी देने से संबंधित है। केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री ने मंजूरी खारिज कर दी थी लेकिन जयंती ने पद संभालने के बाद कथित रूप से उसे मंजूरी दे दी। एजेंसी का कहना है कि वन महानिदेशक के सुझाव और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन किए बिना मंजूरी दी गयी।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया, ‘‘तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने ईसीएल को गैर वन्य इस्तेमाल के लिए 55.79 हेक्टेयर वन भूमि की स्थिति बदलने के लिए मंजूरी दी, जबकि उनके पूर्ववर्ती राज्य मंत्री ने मंजूरी खारिज कर दी थी और इसके बाद परिस्थितियों में कोई बदलाव ना होने के बावजूद मंजूरी दी गयी।’’
सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के अनुसार नटराजन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और रोकथाम के वर्गों के तहत मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि सीबीआई ने नटराजन के चेन्नई समेत आधा दर्जन ठिकानों पर छापा मारा है। जयंती नटराजन 2015 में कांग्रेस पार्टी छोड़ चुकी हैं। वह करीब 30 साल तक कांग्रेस में रहीं और इस दौरान वह यूपीए-2 सरकार के दौरान जुलाई 2011 से दिसंबर 2013 तक पर्यावरण मंत्री रही थीं।