एक तरफ जहां भारत की आर्थिक स्थिति डांवाडोल चल रही है वहीं दूसरी तरफ जापानी कार कंपनी निसान ने केंद्र सरकार से लगभग 5 हजार करोड़ रूपए जैसे बड़ी रकम की मांग कर डाली है। इसको लेकर कंपनी ने भारत के खिलाफ इंटरनेशनल आर्बिटरेशन में मामला दर्ज कराया है। दरअसल, जापानी कार निर्माता कंपनी निसान तमिलनाडु के ओरगडम में एक संयंत्र चला रही है, इस कंपनी ने भारत सरकार से करीब 770 मिलियन डॉलर यानी करीबन 5 हजार करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि मांगी थी। लेकिन अब तक उसे यह राशि मुहैया नहीं कराई गई। इसको लेकर निसान ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक कानूनी नोटिस भी भेजा था। लेकिन अब तक कंपनी को उससे भी कोई फायदा नहीं मिला। फलस्वरूप अब उसने इंटरनेशनल आर्बिटरेशन का दरवाजा खटखटाया।
निसान ने नोटिस में 2,900 करोड़ रुपए के अनपेड इन्सेंटिव और 2,100 करोड़ रुपए डेमेज, ब्याज आदि के रुप में मांगे हैं। बात 2008 की है जब निसान ने अपने ग्लोबल पार्टनर व फ्रांसीसी कार निर्माता रेनॉल्ट के साथ मिलकर चेन्नई में एक कार संयंत्र स्थापित के लिए निवेश की सहमति जताई थी, उस दौरान तमिलनाडु सरकार ने टैक्स रिफंड्स के साथ कई तरह की प्रोत्साहन राशि भी देने का वायदा किया था। लेकिन सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया। निसान के अनुसार 2015 में तमिलनाडु राज्य के अधिकारियों के साथ एक दर्जन मीटिंग की गई। इसमें बकाए राशि के भुगतान को बार-बार अनुरोध किया गया लेकिन अधिकारियों ने इसे अनसुना कर दिया। इसके साथ ही कंपनी के चेयरमैन कार्लोस घोस्न ने पिछले साल मार्च में प्रधानमंत्री मोदी से मदद मांगी लेकिन इसका भी कोई परिणाम नहीं निकला।
निसान के इस बढ़ते कदम को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने निसान की ओर से मांगी गई प्रोत्साहन राशि भुगतान मामले में एक सकारात्मक संकेत दिए हैं। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह विवाद वैट में छूट तथा वैट रिफंड को लेकर है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस मामले को निपटाने के लिए केंद्र सरकार से मिली मंजूरी के बाद तमिलनाडु सरकार ने कंपनी से बातचीत शुरू कर दी है।