जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने को लेकर दिए विवादित बयान के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक को ‘तबादले का डर’ सता रहा है। मलिक जम्मू में वरिष्ठ कांग्रेस नेता गिरधारी लाल डोगरा की 31वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। वहां उन्होंने कहा कि उन्हें पद से तो नहीं हटाया जाएगा, लेकिन उन्हें नहीं पता कि उन्हें कब दूसरे राज्य में भेज दिया जाए। बता दें, शनिवार को राज्यपाल मलिक ने कहा था कि केंद्र सरकार चाह रही थी कि सज्जाद लोन को सरकार बनाने का मौका दिया जाए, लेकिन उन्होंने केंद्र सरकार की बात न मानते हुए विधानसभा को भंग कर दिया।
राज्यपाल मलिक ने कहा, ‘मैं कितने दिन यहां हूं, यह मेरे हाथ में नहीं हैं। मुझे नहीं पता कि मेरा कब तबादला कर दिया जाएगा। मुझे पद से नहीं हटाया जाएगा, लेकिन मेरे तबादले की आशंका है। जब तक मैं यहां हूं, मैं आप लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि जब भी आप मुझे बुलाएंगे, मैं उन्हें (गिरधारी लाल डोगरा) श्रद्धांजलि देने के लिए आता रहूंगा।’
बता दें, शनिवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में राज्यपाल मलिक ने कहा था, ‘अगर मैं दिल्ली की बात मानता तो मुझे सरकार बनाने के लिए सज्जाद लोन को बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ता। लेकिन यह बेईमानी होती। मैंने सारी चीजें खत्म कर दीं। कोई मुझे गालियां देना चाहे तो दे सकता है, लेकिन मुझे लगता है कि जो मैंने किया है वह सही है।’ राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए ये बातें कहीं।
सत्यपाल मलिक पिछले तीन महीने से जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद पर हैं। गौरतलब है कि राज्यपाल ने प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन के सरकार बनाने के दावे के बाद विधानसभा को भंग कर दिया था। महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा किया था। वहीं सज्जाद लोन ने भाजपा के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था।