इजरायल की नई पहचान अब यहूदी देश के तौर पर बन गई है। इजरायली संसद नेसेट ने विवादित ”ज्यूस नेशन बिल” को कानून का दर्जा दे दिया है। जिसके मुताबिक इजरायल अब यहूदी राष्ट्र होगा। अरब से भी देश की आधिकारिक भाषा का दर्जा भी छिन गया है। इसके साथही अविभाजित येरुशलम, इजरायल की राजधानी होगा। संसद में पास इस बिल को देशहित में लिया गया फैसला बताया जा रहा है। हालांकि इजरायल के अरब सांसदों ने पास हुए नए बिल का विरोध किया है। लेकिन प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने इसे ऐतिहासिक पल करार दिया है। .आपको बता दें कि इजरायल का गठन 1948 में यहूदियों की धरती के तौर पर किया गया था। उस दौरान दुनियाभर के यहूदियों को फिलिस्तीन लौटकर अपनी खुद की जमीन पर अधिकार जताने के लिए कहा गया था।
नेतन्याहू की दक्षिणपंथी सरकार है। .इसके मुताबिक, “इजरायल ऐतिहासिक रूप से यहूदी लोगों का निवास स्थान है। सिर्फ उन्हें ही यहां राष्ट्रीयता का अधिकार मिलना चाहिए” आपको बता दें कि संसद में बिल को पास होने में 8 घंटे का वक्त लगा। बिल के पक्ष में 62 वोट पड़े तो विपक्ष में 55 सासंदों ने मतदान किया।
आपको बता दें कि इजरायल की 90 लाख आबादी में 18 लाख आबादी (करीब 20 फीसदी) अरबी लोगों की आबादी है। यहां के कानून के मुताबिक, अरबों को भी इजरायल में यहूदियों की तरह अदिकार दिए गए है। लेकिन लंबे समय से उनके साथ भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं। अरबी सांसदों की ओर से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा गया कि इस बिल का पास होना लोकतंत्र की हत्या के समान है। आपको बता दें कि अमेरिका ने 7 महीने पहले येरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित किया था। दिसंबर में डोनाल्ड ट्रम्प ने अंतरराष्ट्रीय विरोधों को नजरअंदाज करते येरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित किया था। उन्होंने अमेरिकी दूतावास को भी तेल अवीव से येरुशलम ले जाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था, “अमेरिका हमेशा से दुनिया में शांति का पक्षधर रहा है और आगे भी रहेगा। सीमा विवाद में हमारी कोई भूमिका नहीं होगी” आपको बता दें कि 1948 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन दुनिया के पहले नेता थे, जिन्होंने इजरायल को मान्यता दी थी।