वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में पेश बजट में। जल्दी खराब होने वाले फल और सब्जियों जैसे उत्पादों के लिए ‘किसान रेल’ चलाने की घोषणा की थी। महाराष्ट्र के देवलाली स्टेशन से पहली किसान ट्रेन रवाना हुई जो बिहार के दानापुर स्टेशन जाएगी। किसान रेल में रेफ्रिजरेटेड कोच लगे हैं। हर कोच को रेलवे ने 17 टन की क्षमता के साथ नए डिजायन के रूप में निर्मित करवाया है। इसे रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला में बनाया गया है। इस ट्रेन में कंटेनर फ्रीज की तरह होंगे। यानी ये एक चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज होगा। इसमें किसान खराब होने वाले उत्पाद जैसे सब्जी, फल, मछली, मीट और दूध रख सकेंगे।
पहली किसान रेल हफ्ते में एक बार चलेगी। ये महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित देवलाली से सुबह 11 बजे चलेगी और अगले दिन शाम 6 बजकर 45 मिनट पर पटना के पास स्थित दानापुर स्टेशन पर पहुंचेगी। इस तरह ये अपनी यात्रा में करीब 32 घंटे का वक्त लेगी। रेलवे के इस प्रयास को सरकार के उस लक्ष्य से जोड़कर देखा जा रहा है जिसके तहत कहा गया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जाएगी। किसान ट्रेन के जरिए जल्द खराब होने वालें कृषि उत्पादों को उन इलाकों में पहुंचाया जाएगा जहां इनका अच्छा बाजार है।
एयर कंडीशनिंग की सुविधा के साथ फल और सब्जियों को लाने ले जाने की सुविधा का प्रस्ताव पहली बार 2009-10 के बजट में उस समय रेल मंत्री रहीं ममता बनर्जी ने किया था, लेकिन इसकी कभी शुरुआत नहीं हो सकी। इसके बाद मोदी सरकार ने इस बार के बजट में ऐलान किया था कि किसान फल-सब्जी देश के उन शहरों में बेच सकते हैं, जहां उन्हें उसकी अच्छी कीमत मिलेगी। इसके लिए किसान रेल चलाई जाएगी। इस सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) योजना के तहत। कोल्ड स्टोरेज के साथ किसान उपज के परिवहन की व्यवस्था होगी।