जहां एक तरफ पाकिस्तान और चीन दोनों से भारत का सीमा विवाद और बढ़ता जा रहा है वहीं कैग की एक रिपोर्ट इस चिंता को और बढ़ाने वाली है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट की माने तो भारत के पास लंबे समय तक युद्ध के लिए प्रयाप्त गोला-बारूद नहीं है। सीएजी ने सेना के पास गोला- बारूद में भारी कमी होने की रिपोर्ट संसद में पेश की है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि अगर भारतीय सेना को लगातार 10 दिन युद्ध करना पड़ गया तो उसके पास पर्याप्त गोला-बारूद नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2016 में कुल 152 तरह के गोलाबारूद थे लेकिन इनमें केवल 31 ही 40 दिनों के लिए पर्याप्त हैं। वहीं 12 प्रकार के गोलाबारूद 30-40 दिनों के लिए और 26 प्रकार के गोलाबारूद 20 दिनों से थोड़ा ज्यादा के लिए पर्याप्त हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि बेहतर फौजी ताकत बनाए रखने के लिए जरूरी बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों (एएफवी) और तोपों के लिए गोला बारूद भी कम है।
इसके अलावा कैग की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश की ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाने के साथ क्षतिग्रसत सामानों की मरम्मत भी नहीं कर पा रही है। गोला-बारूद के डिपो में अग्निशमन कर्मियों की कमी है और उपकरणों से हादसे का खतरा बढ़ रहा है।
दरअसल यह रिपोर्ट इस साल जनवरी में आर्मी के गोला-बारूद मैनेजमेंट का फॉलोअप ऑडिट के बाद पेश की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 2009 से 2013 के बीच हथियार, फाइटर प्लेन आदि खरीदने के लिए कई डील किए हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर जनवरी 2017 तक पेंडिंग थे।
हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि 10 महीने में हुए रक्षा सौदों को पूरा होने में कम से कम दो साल का समय लगेगा। इसके बाद ही सेना को बेहतर हथियार मिल सकेंगे। सेना को रूस और इजरायल की तरफ से साल 2019 की पहली तिमाही में रॉकेट, ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल और अन्य कई महत्वपूर्ण और उच्च गुणवत्ता वाले हथियार मिलेंगे। भारतीय वायुसेना को 2019 से 2022 के बीच में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान मिलेंगे और मार्च से जुलाई 2019 में 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर अमेरिका से मिलेंगे।