4 साल पहले 2014 को जब इराक के मोसूल शहर पर ISIS के आतंकियों ने कब्जा किया तो पूरी दुनिया सकते में आ गई थी और जब पता चला कि वहां काम कर रहे 40 भारतीयों को आतंकियों ने अगवा कर लिया है तो पूरा देश सदमें आ गया था… 2014 के बाद से ही हर पल आशंका के बीच गुजर रहा था… इसी बीच 40 में से एक भारतीय हरजीत मसीह आतंकियों के चंगुल से भाग निकला… जैसे तैसे भारत लौट कर हरजीत मसीह ने जो कहानी सुनाई उससे पूरा देश सन्न रह गया था…
हरजीत ने बताया कि इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने अगवा सभी 39 भारतीयों को उनके सामने मार दिया लेकिन वो खुद को बांग्लादेशी मुसलमान बता कर बच गया… हरजीत मसीह के मुताबिक सभी 39 भारतीय उसके सामने मारे गए थे लेकिन सरकार किसी पुख्ता सबूत के बिना मसीह की कहानी को मानने को तैयार नहीं थी…आज जब 39 भारतीयो के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है फिर भी सरकार का कहना है कि हरजीत मसीह ने सरकार को गुमराह किया था…
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक बार फिर IS के चंगुल से निकलकर भागे शख्स हरजीत मसीह को झूठा करार दिया.. सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में बताया कि हरजीत खुद को मुस्लिम बताकर किसी तरह से बच निकला था और उसके सामने किसी भी भारतीय बंधक की हत्या नहीं की गई थी.. जैसा कि वो अपने बयान में बता रहा है.. सुषमा स्वराज ने ये बयान उस कंपनी के मालिक के बयान के आधार पर दिया, जहां हरजीत मसीह काम करता था..
हरजीत मसीह के इस बयान, कि उसके सामने ही सभी बंधकों की हत्या कर दी गई थी को लेकर विवाद मचा था.. सरकार उसके बयान को दरकिनार कर बंधकों की तलाश में जुटी थी… 2014 में 39 भारतीयों को ढूंढ़ने का काम जनरल वीके सिंह की अगुवाई और देख रेख में शुरू हुआ… वीके सिंह ने इसके लिए इराक के युद्धग्रस्त इलाकों का हफ्तों तक दौरा किया… एक समय तो वे इराकी आर्मी और आईएस आतंकियों के बीच जारी जंग के बीच ही भारतीयों को ढूंढ़ने के लिए इराक के युद्ध ग्रस्त इलाके में भी पहुंच गए थे…
इसी दौरान 39 भारतीयों की खोज में लगे पूर्व आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को बदूश शहर में टीलों के बारे में इनपुट मिला था, जिन्हें देखकर लगता था कि यहां कुछ दबा हुआ है…विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की अगुवाई में भारतीय टीम और इराकी सैनिकों के दल ने इन टीलों को खोदने का फैसला लिया, ताकि 2014 के बाद आईएस के कब्जे में रहे पीड़ितों के बचे हुए अवशेष को तलाशा जा सके… यही वो समय था जब आईएस ने इराक और सीरिया के महत्वपूर्ण इलाकों पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया था… जिस टीले के नीचे 39 भारतीयों के दबे होने की आशंक था उसकी खुदाई शुरू हुई…
खुदाई के दौरान खोजी दल को एक कड़ा और लंबे बालों का गुच्छा हाथ लगा… ये इस बात की ताकीद कर रहा था कि वे लोग पंजाब के हो सकते हैं… हालांकि इस वक्त भी ये साफ नहीं था कि वहां कितने लोग हो सकते हैं… जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ी, इराकी प्रशासन को मानव अवशेष मिलने लगे… इस खुदाई में जिस व्यक्ति की सबसे पहले पहचान हुई वो पंजाब के संदीप कुमार थे…
भारत सरकार द्वारा बगदाद फोरेंसिक लैबोरेट्रीज को भेजे गए डीएनए सैंपल से मिलान के साथ अन्य शवों की पहचान शुरू हुई…सभी भारतीयों के शवों की पहचान होने के बाद उनके परिवारों को इस बारे में जानकारी देने का फैसला लिया गया…