पृथ्वी को प्लास्टिक नष्ट कर रहा है। धरती पर मौजूद सभी जीव जंतु को प्लास्टिक भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा रहा है। दुनिया भर में कई ऐसी संस्थाएं हैं जो प्लास्टिक बैन करने के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। इसी तरह पर्यावरण के लिए काम करने वाली ग्रीनपीस नाम की संस्था ने दावा किया है कि, दुनिया भर में पेप्सिको इंडिया, नेस्ले और कोका कोला सबसे अधिक प्लास्टिक वेस्ट फैलाती हैं।
कंपनियों के प्लास्टिक कचरे को लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी समय-समय पर एक्शन लेते रहता है और भारी जुर्माने के साथ कचरा फैलाने वाली कंपनी को समझाते भी हैं।
बोर्ड ने एक बार फिर कड़ा रूख अपनाया है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने कोक, पेप्सी और बिसलेरी पर करीब 72 करोड़ का भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। बिसलेरी पर 10.75 करोड़ रुपए, पेप्सिको इंडिया पर 8.7 करोड़ और कोका कोला बेवरेजेस पर 50.66 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। बाबा रामदेव की पतंजलि पर 1 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई गई है। एक अन्य कंपनी पर 85.9 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई गई है।
यह जुर्माना प्लास्टिक कचरे के डिस्पोजल और कलेक्शन की जानकारी सरकारी बॉडी को नहीं देने के मामले में लगाया गया है। प्लास्टिक कचरों के मामलों में एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी (EPR) एक पॉलिसी पैमाना है, जिसके आधार पर प्लास्टिक का निर्माण करने वाली कंपनियों को प्रोडक्ट के डिस्पोजल की जिम्मेदारी लेनी होती है। CPCB ने कहा है कि इन सभी को 15 दिनों में जुर्माने की रकम भरनी होगी।
बिसलेरी का प्लास्टिक का कचरा करीब 21 हजार 500 टन रहा है। इस पर 5 हजार रुपए प्रति टन के हिसाब से जुर्माना लगाया गया है। पेप्सी के पास 11,194 टन प्लास्टिक कचरा रहा है। कोका कोला के पास 4,417 टन प्लास्टिक कचरा था। यह कचरा जनवरी से सितंबर 2020 के दौरान था। EPR का लक्ष्य 1 लाख 5 हजार 744 टन कचरे का था।
पारले बिसलेरी बोतलबंद पानी का काम करती है। इसे अक्सर आप रेलवे स्टेशनों और सड़क पर आते जाते देख सकते हैं। भारत में सबसे अधिक बिकने वाला बोतलबंद पानी बिसलेरी ही है। पेप्सी पेय पदार्थ में सबसे लोकप्रिय ड्रिंक है।