बंदूक में बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर भागते वनकर्मी की ये तस्वीरें राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन और पुलिस की हैं। जहां एक गुस्सैल हाथी को काबू में करने की कोशिशें की गईं। ये सब कैमरे में कैद हुआ तो अड़ियल टस्कर का मिजाज और बिगड़ गया। इसे काबू में करने की घंटों कोशिशें की गईं। इसने लोगों को घंटों दौड़ा-दौड़कर खूब तंग किया। ये वही हाथी है, जिसने बीते जनवरी में राजाजी टाइगर रिजर्व की रानीपुर रेंज में 4 दिनों में दो लोगों की जान लेने के साथ ही करीब एक दर्जन लोगों को घायल कर दिया था।
इस हाथी के दहशत का आलम यह था कि शाम होते ही ये भेल के इलाके में निकल आता था और जमकर तांडव मचाया करता था। ऐसे में जब ये हाथी पौड़ी के जंगलों से होता हुआ रानीपुर रेंज में आ धमका तो इलाके में खौफ पसर गया। शुक्र हो उस रेडियो कॉलर का जिसने इसकी लोकेशन रानीपुर रेंज में दी। इसके बाद ट्रैक्युलाइजर और क्रेन की मदद से बिगड़ैल हाथी पर काबू पाया गया। प्रभागीय वनाधिकारी आकाश वर्मा ने रानीपुर इलाके में गन्ने का जूस बेचने वालों से उसके अवशिष्ट और लोगों से कूड़ा इधर-उधर न फेंकने की अपील की है।
इंसानों को देखते ही उन पर हमला करने वाले इस बिगड़ैल हाथी के दोबारा लौटने से रानीपुर रेंज के भेल इलाके में दहशत है। सैकड़ों क्विंटल वजनी इस हाथी के हमले में बाल-बाल बचे भेल के शिक्षक रजनीकांत शुक्ल और इलाके के लोगों में इसका आतंक है। भेल में सुबह शाम घूमनेवाले लोगों पर खतरा मंडरा रहा है। लोगों ने पार्क प्रशासन से जल्द से जल्द ही हाथी को घने जंगलों में छोड़ने की मांग की है।
घने जंगलों से रहने वाले वनय जीव कटते जंगल से खाना तलाशते हुए रिहायशी इलाकों का रूख कर रहे हैं। आए दिन उत्तराखंड सहित देश के अन्य इलाकों में जंगली जानवरों के खूनी हमले की खबर आती है। ऐसे में दो पैरों और चालाक दिमाग वाले इंसान को भी चार पैरों वाले जानवरों की हिफाजत की चिंता करनी होगी। क्योंकि, जंगल और जीव हैं तो पर्यावरण है। बिना पर्यावरण न तो इंसान रहेगा और न ही जिंदगी।