यह अब किसी से छुपा नहीं हैं कि दुनिया की बड़ी बड़ी महाशक्तियां जिन्हें अपने परमाणु बमों पर बड़ा नाज था, एक छोटे से विषाणु के आगे घुटने टेक चुकी हैं। दुनिया भर में लगभग सत्तर लाख लोग आज की तारीख में कोविड 19 नाम के इस घातक विषाणु के संक्रमण की गिरफ्त में आ चुके हैं। दुनिया के सभी बड़े लैब इसका तोड़ ढूंढने में दिन रात एक किए हुए हैं। भारत में भी कई स्तरों पर इसके प्रयास चल रहे हैं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित कॉलेजों में एक हंसराज कॉलेज के केमिस्ट्री विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ बृजेश राठी ने इस दिशा में उम्मीद की किरण दिखाई है। डॉ राठी ने अमेरिका और ब्राजील के वैज्ञानिकों की मदद से एक नए हाईड्रोक्सीइथेलेमाइन एनालॉग बनाने का दावा किया है। बताया गया है कि यह कैमिकल नोवल कोविड-19 के प्रोटीन टारगेट के खिलाफ काम करता है। डॉ. बृजेश राठी अमेरिका के दो विश्वविद्यालयों, शिकागो में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लोयोला और न्यू मैक्सिको राज्य में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मैक्सिको के साथ मिलकर शोध कर रहे हैं।

अमेरिका की ओपनसोर्स कैमिस्ट्री सोसायटी, ‘कैमरिक्सआईवी‘ में छपे इस रिसर्च-पेपर में दिल्ली यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर बृजेश राठी ने दावा किया है कि शुरूआती मोलिकियल डायनेमिक्स में इसके परिणाम मिले हैं। ये फेफड़ों में कोरोना वायरस को बढ़ने नहीं देता है। इससे फेफड़ों पर जानलेवा प्रभाव नहीं पड़ता है। लेख में कहा गया है कि हाईड्रोक्सीइथेलेमाइन कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए प्रोटीन से जुड़ जाता है और इसे बाहर से एनर्जी नहीं मिलती। ये फिर फेफड़ों में बढ़ नहीं पाता है और फेफड़ों पर कोरोना वायरस का असर कम कर देता है।

उन्होंने दावा किया कि इस खोज का पेटेंट भी करा लिया गया है। अब इसे आगे बढ़ाते हुए इसकी दवा बनाने पर काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मैंने और अमेरिका के इन दोनों विश्वविद्यालयों ने यूनाइटेड कंपनी की एक फार्मा कंपनी के साथ मिलकर समझौता भी किया है। इस समझौते के मद्देनजर अब इस केमिकल पदार्थ का उपयोग करते हुए इसकी दवा बनाने पर काम किया जाएगा। इस पर आने वाले समय में क्लिनिकल ट्रायल भी किए जाएंगे। उन्होंने दावा किया है कि इस नए केमिकल पदार्थ से कोविड-19, जो मनुष्य के शरीर में अपना फैलाव करता है और अपनी कॉलोनियों को बसाते हुए अपनी जीविका शरीर में बनाता है, को रोका जा सकता है। यह अनुसंधान जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका में भी प्रकाशित होने वाला है।

हंसराज कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रमा शर्मा ने बताया कि डॉ. बृजेश राठी की इस उपलब्धि से कॉलेज बहुत खुश है। अब डीयू के कॉलेज भी इसी प्रकार से अनुसंधान को बढ़ावा दे रहे हैं। कोविड-19 की दवा को लेकर डीयू के कॉलेज भी शोध कर रहे हैं। यह समाज के लिए बहुत ही अच्छा कदम है।

  • मनीष राज

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