आंकड़ों की दृष्टि से देखा जाए तो देश की तकरीबन 3 फीसदी आबादी को गरीबी ने अपने चंगुल में जकड़ रखा है।  2017 के आम बजट में कहा गया था कि 1 करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर लाना है और इसी बजट के अनुसार काम करते हुए केंद्र सरकार देश से गरीबी दूर करने के लिए एक डायरेक्ट बेनेफिट योजना लेकर आ रही है। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को सस्ते ब्याज पर कर्ज दिया जाएगा। जिससे कि गरीब परिवार व्यवसाय का नया जरिया तैयार कर सकें। इससे बेराजगारी के साथ साथ गरीबी रेखा में भी सुधार आएगा।

Government will provide loans to poor families at affordable ratesइस योजना के तहत खुद केंद्र सरकार गरीबी की मार झेल रहे करीब 8.5 करोड़ परिवारों को कर्ज देगी। एक लाख रुपए का लोन देने के लिए सरकार ने हाल ही में कराए गए सामाजिक, आर्थिक और जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों का सहारा लिया और इन आंकड़ों के मुताबिक लगभग 8.5 करोड़ परिवारों का चयन किया गया। योजना का टारगेट 2019 तक का रखा गया है जिसके तहत सरकार इन परिवारों को 1 लाख रुपए का लोन आवंटित करेगी।

भारत की लगभग 62% आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और इस योजना का मकसद भी यही है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था के ढांचे को पुख्ता किया जाए। दरअसल, ग्रामीण इलाकों में गरीब परिवार क्षेत्रीय साहूकार और माइक्रोफाइनेनस कपंनियों पर कर्ज के लिए निर्भर रहते हैं जो अपने फायदे के लिए ज्यादा ब्याज वसूलते हैं इस निर्भरता को कम करना ही इस योजना का लक्ष्य है। ताकि गरीब परिवार ब्याज के बोझ तले न दबे और सस्ती दर पर बिना कुछ गिरवी रखे आसान प्रक्रिया से लोन पा सकें।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कृषि एवं पशुपालन मंत्रालय के साथ एक मेमोरंडम पर दस्तखत किया ताकि ऐसे परिवारों को पोल्ट्री फार्म लगाने और बकरी पालन आदि कार्यों के लिए कर्ज दिया जा सके। ग्रामीण विकास मंत्रालय 4 प्रतिशत तक इंट्रेस्ट रेट सबवेंशन मुहैया कराएगा ताकि इन परिवारों को 7 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मिल सके। देश के 250 पिछड़े जिलों में परिवारों को कर्ज वक्त पर चुकाने पर ब्याज में 3% की अतिरिक्त छूट मिलेगी और इस तरह उनके मामले में प्रभावी ब्याज दर 4% रह जाएगी।