मोदी सरकार के दौर में सरकारी दफ्तरों में सही तरीके से काम नहीं करने वाले यानि सुस्त कर्मचारियों की परेशानी में भी काफी इजाफा हो गया है। मोदी सरकार ने कर्मचारियों के प्रमोशन पॉलिसी में कुछ बदलाव किए हैं। केंद्र अब अधिकारियों का प्रमोशन सिर्फ सालाना रिपोर्ट के आधार पर नहीं बल्कि उनकी ईमानदार छवि और काम करने में मेहनत के आधार पर करेगा। सचिव, अतिरिक्त सचिव और अन्य वरिष्ठ पदों के लिए अधिकारियों की क्षमता का मूल्यांकन पहली बार होने जा रहा है।
मोदी सरकार के इस कदम को केंद्र में महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार माना जा सकता है। अधिकारियों के प्रमोशन पॉलिसी को लेकर नए प्रस्तावित नियमों का प्रारूप 5 अवकाश प्राप्त सचिवों की टीम ने तैयार किया है। गौरतलब है कि इस टीम का चयन 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने किया था। 2014 में मूल्यांकन के लिए बने नियमों के तहत 7 बिंदुओं की कसौटी पर अधिकारियों का मूल्यांकन होना है। इसमें सालाना रिपोर्ट के साथ-साथ, काम के प्रति ईमानदारी, अपने कार्य को बेहतर तरीके से करने की क्षमता, काम की समझ और प्रशासनिक कौशल समेत सात बिंदु शामिल हैं। नौकरशाहों की कामकाज के आकलन की नई व्यवस्था कई तरह के विश्लेषण और शोध पर आधारित है।
नई व्यवस्था के तहत जिन ब्यूरोक्रेट के कामकाज का आकलन होना है, उनके सीनियर एंव जूनियर सहकर्मियों से पूछा जाएगा कि उनके बारे में सामान्य धारणा क्या है। कर्मचारियों के सहकर्मियों से कुछ विशेष सवालों के जवाब में तीन तरह के जवाबों में कोई एक चुनना होगा बिल्कुल सहमत, पूरी तरह सहमत नहीं, पूरी तरह असहमत।
उधर अधिकारी भी मोदी सरकार के नए प्रमोशन पॉलिसी आने के बाद पहले से ज्यादा सचेत हो गए हैं। मोदी सरकार के आकलन के अंतर्गत आने वाले 7 बिंदुओं के मद्देनजर अधिकारी भी अपने कार्यशैली में परिवर्तन कर रहे हैं ताकि उन्हें प्रमोशन मिलने में परेशानी ना हो।