यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की चहेती योजनाओं में से एक गोमती रिवर फ्रंट योजना बीजेपी सरकार की नजरों में पहले ही दिन से खटक रही थी। सत्ता में योगी सरकार के आते ही उन्होंने सपा सरकार के सारे योजनाओं की उलझी गुत्थियों को सुलझाना शुरु कर दिया है। सरकार ने सबसे पहले इसी परियोजना के घोटाले के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिये। इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल की मुश्किल बढ़ गयी हैं। यूपी के नए प्रमुख सचिव कामरान रिजवी ने विभाग द्वारा दीपक सिंघल के खिलाफ नोटिस जारी कर 15 दिनों के अंतर्गत जवाब मांगा है। जारी नोटिस में कहा गया है कि “दीपक सिंघल के सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव पद के कार्यकाल के दौरान गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना में की गयी अनियमितता सामने आई है। इस संबंध में शासन के संज्ञान में आए प्रतिकूल तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आपके (दीपक सिंघल के) विरुद्ध विभागीय कार्यवाही किये जाने का निर्णय लिया गया हैं। उक्त के संबंध में 15 दिन के अंदर अपने बचाव में अपना लिखित अभिकथन उपलब्ध कराने का कष्ट करें।”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट की जांच के लिए भारत सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
दीपक सिंघल पर लगे आरोप-
रिपोर्ट के मुताबिक गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में कुल 24 में से 6 कार्य शुरू नहीं किए गए, जबकि 10 पर काम चल रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत मार्च 2017 को 8 काम पूरे हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार दीपक पर आरोप लगाया गया है कि इस परियोजना के 18 में से 11 कामों में मार्च 2017 तक बजट से ज्यादा खर्च हो चुका है। इनमें से आठ काम ऐसे है जिनमें बजट से 10 फीसदी ज्यादा खर्च हुआ है और कुछ कार्यों पर 6 गुना ज्यादा तक पैसा खर्च किया गया। बात परियोजना के नियमों की करें तो इस योजना का नियम था कि अगर किसी कामों में 10 फीसदी से ज्यादा खर्च की स्थिति उत्पन्न होती है तो सरकार से दोबारा मंजूरी ली जाए। साथ ही साथ दीपक पर परियोजना के कार्यान्वयन में योग्य अधिकारी की नियुक्ति न करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का आरोप है।