आज महात्मा गांधी की जयंती है। सोशल मीडिया पर राष्ट्रपिता को लेकर न जाने कितनी बातें कही जाती हैं और उनमें से कितनी सच हैं और कितनी झूठ, हर एक का पता लगा पाना आसान नहीं है। ऐसे ही कहा जाता है कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलाने के लिए अनशन किया था। हालांकि सच्चाई ये है कि गांधी ने आजादी के बाद कई अनशन किए लेकिन एक भी अनशन इस उद्देश्य के साथ नहीं किया था।
आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिर्फ जमीन का बंटवारा नहीं हुआ था बल्कि संसाधनों का भी बंटवारा हुआ था। इसी वजह से तय किया गया कि बड़ा देश होने के नाते भारत पाकिस्तान को 75 करोड़ रुपये देगा। ये उन सभी संसाधनों की कीमत होगी जो पाकिस्तान के हक में थे लेकिन इनका इस्तेमाल भारत करेगा।
पाकिस्तान ने छेड़ दिया था युद्ध
ये समझौता भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच में हुआ था। भारत ने पाकिस्तान को 20 करोड़ की पहली किश्त दे दी थी। लेकिन तभी पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया। इसलिए भारत सरकार ने पाकिस्तान को दी जाने वाली दूसरी किश्त को रोक दिया। लॉर्ड माउंटबेटन भारत के गवर्नर जनरल थे। उनका मानना था कि भारत को पाकिस्तान को उसके हिस्से का पैसा देना चाहिए क्योंकि दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ है। गांधी भी यही राय रखते थे कि भारत को बदला लेने की नीति नहीं अपनानी चाहिए और समझौते के मुताबिक पाकिस्तान के हिस्से के पैसे देने चाहिए।
गांधी ने भाईचारे के लिए किया था अनशन
सितंबर 1947 में कलकत्ता से पंजाब जाने के लिए महात्मा गांधी दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में उस समय भयंकर हिंदू मुस्लिम दंगे चल रहे थे। वल्लभभाई पटेल ने गांधी को दिल्ली के बिगड़ते हालातों के बारे में बताया। गांधी ने तुरंत पंजाब जाने का निर्णय स्थगित कर दिल्ली में रुकने और वहां शांति स्थापित होने के बाद पंजाब जाने का फैसला किया। जब कई प्रयासों के बाद भी दिल्ली के हालात काबू में नहीं आए तो 12 जनवरी 1948 को 78 वर्षीय गांधी ने अनशन करने का फैसला किया। वो इन दंगों के खिलाफ उपवास पर बैठ गए। 12 जनवरी की शाम को प्रार्थना सभा में उन्होंने दोनों धर्मों के लोगों के बीच शांति की बात की। 13 जनवरी को भी प्रार्थना सभा में भी गांधी ने पाकिस्तान और 55 करोड़ रुपये का कोई जिक्र नहीं किया।
15 जनवरी को एक पत्रकार ने उनसे इस उपवास की वजह पूछी। इस सवाल के जवाब में भी गांधी ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले 55 करोड़ रुपये का कोई जिक्र नहीं किया था। गांधी के उपवास को खत्म करवाने के लिए बनाई गई समिति द्वारा गांधी जी को दिए गए आश्वासनों में भी पाकिस्तान को पैसे दिया जाना शामिल नहीं था। भारत सरकार द्वारा उस समय जारी किए गए प्रेस नोट्स में भी गांधी जी द्वारा पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने की मांग का कोई जिक्र नहीं है तो पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिए गांधी जी ने अनशन किया यह बात भी झूठ है।
स्रोत: मार्क शेपर्ड की किताब ‘गांधी और उनसे जुड़े झूठ’