उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड़ के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने 93 साल के उम्र में गुरुवार दोपहर को अंतिम सांस ली। दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में उनका निधन हो गया। आज ही एनडी तिवारी का जन्मदिन भी था।  एनडी तिवारी बीते एक साल से बीमार चल रहे थे। बता दें कि पिछले महीने यानी 20 सितंबर को उन्हें ब्रेन स्ट्रोक के चलते दिल्ली में साकेत के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

एनडी तिवारी उत्तराखंड के अभी तक के इकलौते मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। नए-नवेले राज्य उत्तराखंड के औद्यौगिक विकास के लिए उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है। वह तीन बार उत्तरप्रदेश और एक बार उत्तराखंड के सीएम रहे। वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह केंद्र में वित्त और विदेश मंत्री भी रह चुके हैं।

एनडी तिवारी का जन्म 18 अक्टूबर 1925 को हुआ था और संयोगवश उनका निधन  भी 18 अक्टूबर को ही हुआ। वह इकलौते  ऐसे शख्स थे, जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं। डॉक्टरों ने बताया कि एनडी तिवारी का निधन दोपहर दो बजकर 50 मिनट पर हुआ। उन्हें 26 अक्टूबर को अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था। वह बुखार और निमोनिया से पीड़ित थे।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने वरिष्ठ राजनेता श्री नारायण दत्त तिवारी जी के निधन पर शोक व्यक्त किया, उन्होंने कहा तिवारी जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया, वह तीन बार उत्तर प्रदेश के और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एनडी तिवारी के निधन पर दुख जाताया। पीएम मोदी ने कहा कि उनको अपने प्रशासनिक कौशल के लिए जाना जाता था। उन्हें औद्योगिक विकास की दिशा में उनके प्रयासों और यूपी और उत्तराखंड की प्रगति के लिए काम करने के लिए याद किया जाएगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर एनडी तिवारी के निधन पर शोक व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि  उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पं. नारायण दत्त तिवारी जी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करता हूं। उत्तराखंड श्री तिवारी जी के योगदान को कभी नहीं भुला पाएगा।

एनडी तिवारी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एमए किया। उन्होंने एमए की परीक्षा में विश्वविद्याल में टॉप किया था। बाद में उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की। 1947 में आजादी के साल ही एनडी तिवारी इस विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए। यह उनके सियासी जीवन की पहली सीढ़ी थी।

आजादी के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश के गठन और 1951-52 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लिया।फिर 1957, 1969, 1974, 1977, 1985, 1989 और 1991 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए।

दिसंबर 1985 से 1988 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। पहली बार 1976 से अप्रैल 1977, दूसरी बार तीन अगस्त 1984 से 10 मार्च 1985 और तीसरी बार 11 मार्च 1985 से 24 सितंबर 1985 और चौथी बार 25 जून 1988 से चार दिसंबर 1989 तक उप्र के मुख्यमंत्री रहे।