लम्बे इंतजार के बाद भारतीय नौसेना को उसकी स्कार्पीन सीरीज की पहली पनडुब्बी ‘कलवरी’ मिल गई है। गुरुवार को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने यह पनडुब्बी नौसेना को सुपुर्द कर दी। आपको बता दें कि इस पनडुब्बी का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत हुआ है और जल्द ही इसे भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।

इस अवसर पर नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि यह भारतीय नौसेना के पनडुब्बी कार्यक्रम में मील का पत्थर है क्योंकि यह भारत की समुद्री शक्ति को  मजबूत कर सकता है। वहीं एमडीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे अपने कंपनी के लिए ऐतेहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा, ‘‘पहली स्कॉर्पीन पनडुब्बी कलावारी को भारतीय नौसेना को सौंपने के साथ ही एमडीएल में इतिहास रच दिया गया।’’ गौरतलब है कि भारतीय कंपनी एमडीएल ने इस पनडुब्बी को फ्रांसीसी कंपनी डीसीएनएस के साथ मिलकर बनाया है। दोनों कंपनियों के बीच अक्टूबर 2005 में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए समझौता हुआ था।

भारतीय नौसेना की एक परंपरा के मुताबिक किसी भी जहाज और पनडुब्बी के सेवामुक्त होने पर उन्हें दोबारा एक नए रूप में अवतरित किया जाता है. ‘कलवरी’ के साथ भी ऐसा ही हुआ है। भारत की पहली पनडुब्बी ‘कलवरी’ 31 मार्च 1996 को नौसेना से रिटायर हुई थी। अब इसको पूरी तरह से नया रंग-रूप और ताकत दे कर इसे फिर से देश सेवा में उतारा गया है।

‘कलवरी’ पनडुब्बी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पानी के अंदर छुप कर और दुश्मन के नजर से बचकर सटीक निशाना साध सकती है। इसके अलावा यह पानी के अंदर से ही सतह के दुश्मनों पर हमला कर सकती है। यह एक डीजल और इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है, जो टॉरपीडो और एंटी-शिप मिसाइलों से हमला कर सकती है। इसका नाम द महासागर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया है।

यह स्कार्पीन सीरीज की पहली पनडुब्बी है। इसके अलावा इस साल इस सीरीज की दो और पनडुब्बियां ‘खांदेरी’ और ‘करंज’ भी नौसेना को सौंपी जाएंगी।

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