पांच राज्यों में हाल ही समाप्त हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली जीत के बाद से लगातार इवीएम को लेकर सवाल खड़े किये जा रहे हैं। इवीएम से छेड़छाड़ को लेकर विपक्ष संसद में हंगामा भी कर चुका है। इवीएम से छेड़छाड़ का यह मामला अब निर्वाचन आयोग से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई आज होनी है।
विपक्ष की लगभग सभी पार्टियाँ इवीएम से छेड़छाड़ को लेकर बीजेपी पर हमलावर रही हैं। खास कर कांग्रेस,बसपा और आम आदमी पार्टी इसमें सबसे आगे हैं। इस मसले को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए छेड़छाड़ की संभावना से इंकार किया था। इस बाबत जल्द ही आयोग एक ओपन वर्कशॉप का आयोजन करने पर विचार कर रहा है। जहाँ सभी दलों को इवीएम से छेड़छाड़ साबित करने का मौका दिया जायेगा।
इन घटनाक्रमों के बीच कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने अपनी ही पार्टी के विरोध पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पंजाब में कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने इवीएम से छेड़छाड़ पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अगर इवीएम से छेड़छाड़ होती तो मै मुख्यमंत्री नहीं होता अकाली मुख्यमंत्री होते। कैप्टेन अमरिंदर सिंह के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी छेड़छाड़ के आरोपों को आधारहीन बताते हुए कहा कि यह निराशावादी मानसिकता है और पार्टी हार के बहाने ढूंढने में लगी है।
कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने पार्टी के विरोध की हवा निकाल दी है। इन सभी बयानों और विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट आज इवीएम से छेड़छाड़ मामले में बसपा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। अब देखना है दिल्ली नगर निगम चुनावों से पहले विपक्ष द्वारा बैलेट पेपर से मतदान की मांग और इवीएम से छेड़छाड़ में सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या आता है? विपक्ष का विरोध और छेड़छाड़ की आशंका कहाँ तक साबित हो पाती है।