चुनाव आयोग ने शरद यादव की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें शरद यादव और अली अनवर अंसारी ने पार्टी और उसकी चिन्ह पर अपना दावा किया था। चुनाव आयोग ने शरद यादव खेमे को भेजे एक संदेश में कहा है कि उन्होंने खुद के असली जदयू होने के दावे के समर्थन में दस्तावेज पेश नहीं दिए हैं, इसलिए उनकी याचिका खारिज की जाती है। इससे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला जदयू ही असली जनता दलयू बना रहेगा।
गौरतलब है कि जदयू की ओर से औपचारिक तौर पर पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर शरद यादव और अली अनवर के खिलाफ राज्यसभा सचिवालय में शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद राज्यसभा सचिवालय की ओर से दोनों नेताओं को नोटिस जारी किया गया है।
शरद के पटना में विपक्ष की रैली में भाग लेने के बाद जेडीयू ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से दोनों को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया था। शरद के साथ अंसारी ने भी आरजेडी की रैली में हिस्सा लिया था। अब राज्यसभा सचिवालय ने जेडीयू के असंतुष्ट नेता शरद यादव और अली अनवर अंसारी से उनकी पार्टी की इस याचिका पर एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।
चुनाव आयोग की ओर से पार्टी का प्रतीक चिन्ह न दिए जाने के बाद जद यू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि यह एक संघर्ष और जंग है जिसे मैं जीतूंगा। एएनआई से बात करते हुए बागी जदयू नेता ने कहा कि बुधवार को वे प्रेस कांफ्रेंस में यह मामला उठायेंगे।
वहीं पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि अब राज्यसभा सभापति को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में दोनों सांसदों की सदस्यता रद्द करने के लिए एक आधार मिल सकेगा।
हालांकि यह लड़ाई आज की नहीं है बल्कि महागठबंधन के वक्त से ही चल रही है। जदयू महासचिव संजय झा की माने तो पहले भी ऐसा चलन रहा है कि विपक्ष के कार्यक्रम में हिस्सा लेने पर सदस्यता रद्द हुई है।