जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में घायल हुए सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन कुमार चीता ने मौत को मात दे दी है। चीता के शरीर पर लगी नौ गोलियां और तीस जख्म भी उनकी जिंदगी जीने की उम्मीद के आगे बेअसर रहीं। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के डॉक्टर भी इसे चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। डॉक्टरों ने उन्हें फिट डिक्लेयर करते हुए उन्हें बुधवार को छुट्टी दे दी है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू चीता से मिलने एम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंचे थे। रिजिजू ने चीता को एक बार फिर वर्दी में देखने की इच्छा जताई। चीता की पत्नी उमा को उम्मीद है कि वे जल्द ड्यूटी पर लौटेंगे। डॉक्टरों ने जब उनसे अंग्रेजी में पूछा, हाउ आर यू? चीता ने जवाब दिया रॉकिंग। जब उनसे हिदी में पूछा गया कि आप कैसे हैं? तो चीता ने कहा, मैं बहुत अच्छा हूं।
14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में आतंकियों से मुठभेड़ में कमांडेंट चीता गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके शरीर पर बहुत ज्यादा चोटें थी। दाहिनी आंख की रोशनी भी चली गई थी। उन्हें पहले श्रीनगर स्थित सैन्य अस्पताल ले जाया गया।
इसके बाद एयर एंबुलेंस से चीता को एम्स ट्रॉमा सेंटर लाया गया। 24 घंटे के अंदर उनके सिर के एक हिस्से को हटाने के बाद सर्जरी की गई। उन्हें अधिक मात्रा में एंटीबॉयोटिक्स दी जा रही थी ताकि संक्रमण कम हो सके। करीब 100 डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की टीम उन पर लगातार नजर रखे हुई थी।
ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख प्रोफेसर अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि चीता को जब लाया गया था तो उनके सिर में गोलियां लगी हुई थीं। नुकसान बहुत ज्यादा पहुंचा था। उनका जीसीएस स्कोर (मस्तिष्क की चोट की गंभीरता को मापने वाला टेस्ट) एम 3 (बहुत कम) था जोकि अब एम 6 (सामान्य) है।
उमा ने कहा कि, “मैं चेतन को बचपन से जानती हूं। वह जो कहते हैं उसे पूरा करते हैं। जम्मू-कश्मीर से चीता को जब एयर एंबुलेंस से दिल्ली लाया जा रहा था तब मैं भी साथ थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि घबराने की जरूरत नहीं है वह ठीक हो जाएंगे। उन्होंने अपना वादा पूरा किया। उम्मीद है कि चीता जल्द ड्यूटी पर लौटेंगे।”