जम्मू कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद की घटनाएँ दशकों पुरानी है। हाल के दिनों में इन घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। राज्य में बढ़ी इन घटनाओं ने बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के बीच दरार पैदा कर दी है। ख़बरों की मानें तो राज्य की दो साल पुरानी गठबंधन की यह सरकार गिर सकती है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
कश्मीर की सत्ता में यूँ तो बीजेपी भी साझेदार है लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री की सोच महबूबा मुफ़्ती की अगुवाई वाली पीडीपी की सोच से मेल नहीं खा रही है। यही वजह है की स्थिति अब नियंत्रण से बाहर है और सत्ता के दो साझेदार अब दूर-दूर होते नजर आ रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार जहाँ पत्थर बाजों से निपटने के लिए सेना को खुली छूट देकर हिंसा पर काबू पाना चाहती है वहीँ मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती इसके खिलाफ हैं। ऐसे में बीजेपी कश्मीर की सत्ता के लिए समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन पर फैसला ले सकती है। इसके पीछे वजह यह बताई गई है कि प्रधानमंत्री कश्मीर में उत्पन्न स्थितियों से चिंतित हैं। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 29 और 30 अप्रैल को राज्य का दौरा करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस दौरे के बाद महबूबा सरकार का भविष्य तय हो सकता है। ताज़ा माहौल और अनुमान से कुछ दिन पहले भुवनेश्वर में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी ये मुद्दा उठ चुका है। खबर यह भी है कि मुख्यमंत्री महबूबा भी जल्द ही दिल्ली आकर बीजेपी के नेताओं से चर्चा कर सकती हैं।
जम्मू कश्मीर में इन सारी स्थितियों के बीच यह तय माना जा रहा है कि इस गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसके अलावा 2019 लोकसभा की तैयारी में लगी बीजेपी कश्मीर और सेना जैसे संवेदनशील मसले को लेकर कोई और जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसलिए बीजेपी कश्मीर में सरकार से समर्थन वापस लेकर अपनी छवि साफ़ बनाने के साथ इस मुद्दे पर अपनी गंभीरता का सन्देश दे सकती है।
गौरतलब है कि सेना के जवानों के साथ हुए दुर्व्यवहार और श्रीनगर में लोकसभा उपचुनाव के दौरान हुई हिंसा से निपटने में राज्य सरकार विफल रही है। इसके अलावा कश्मीरी युवकों द्वारा सेना से दुर्व्यवहार के बाद देश भर में कश्मीरियों के खिलाफ गुस्से का माहौल है और केंद्र के निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार किसी भी तरह की बड़ी कारवाई से बचती दिखी है। ऐसे में यह सभी बातें इस गठबंधन में पनपी दरार की वजह मानी जा रही हैं। खैर आने वाले कुछ दिनों में यह स्थिति ज्यादा स्पष्ट हो सकेगी।