
Chandrayaan-3: हर किसी की नजर सिर्फ चांद पर टिकी हुई है चाहे बॉलीवुड के सितारों हो या फिर देश भर के तमाम ज्योतिष हो, हर किसी को बेसब्री से आज शाम का इंतजार है। दरअसल, भारत चांद के बेहद करीब है जिसके बाद पूरी दुनिया में अपनी एक अलग इतिहास रच देगा। बता दें कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अगले कुछ ही घंटों में चांद पर लैंड करने के लिए तैयार है। क्योंकि भारत का चंद्रयान-3, बुधवार यानी 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है। ISRO के मुताबिक तय समय पर ही मिशन पूरा होगा। ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें भारत की ओर टिकी हुई हैं।
चांद पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के उतरते ही स्पेस मिशन का नया इतिहास बनने वाला है। यही कारण है कि न सिर्फ करोड़ों भारतीय लैंडिंग के अपडेट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें बनी हुई है। उन तमाम लोगो के अलावा कई कंपनियां भी हैं जो इस ऐतिहासिक पल का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं, जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने में योगदान दिया है। तो आइए जानते हैं चंद्रयान-3 के लॉन्च होने से लेकर लैंडिंग तक का दिलचस्प सफर।

भारत का Chandrayaan-3 मिशन है बेहद खास
चंद्रयान-3 भारत के महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोग्राम का अहम पड़ाव है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो पहले भी चांद के मिशन को अंजाम दे चुकी है और मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है, लेकिन यह मिशन बाकियों से अलग है। यह मिशन चांद के उस हिस्से में उतरने का प्रयास है, जो हमेशा अंधेरे में रहता है। अभी तक चांद का यह हिस्सा अनएक्सप्लोर्ड है और मिशन के सफल होने पर यह उस हिस्से में पहली सॉफ्ट लैंडिंग होगी।
दरअसल, अभी तक जो काम नासा या रूस और चीन की स्पेस एजेंसियां नहीं कर पाई है, इसरो (ISRO) उस काम को अंजाम देने के बेहद करीब है। इसरो ने यह मुकाम एक दिन में नहीं पाया है। इसके पीछे करीब 6 दशकों की मेहनत है। इन 6 दशकों में इसरो ने न सिर्फ अंतरिक्ष में तिरंगे को फहराया है, बल्कि देश में एक नई इंडस्ट्री को भी डेवलप किया है, जिसे स्पेसटेक इंडस्ट्री कहा जा रहा है। स्थिति ये है कि अभी इस सेक्टर में करीब 400 प्राइवेट कंपनियां एक्टिव हैं और उनमें से कई ने इसरो के इस मिशन में बहुमूल्य योगदान दिया है।

इस मिशन में इन कंपनियों का अहम योगदान
इसरो के इस मिशन में योगदान देने में सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियां शामिल हैं। किसी ने बैटरी पर काम किया है, तो किसी ने रॉकेट तैयार किया है। उनमें सबसे पहना नाम आता है एलएंडटी का। इस प्राइवेट इंजीनियरिंग कंपनी ने मिशन के लिए बूस्टर और सबसिस्टम को तैयार किया है। सरकारी कंपनी भेल ने बैटरी की सप्लाई दी है। जानकारी के मुताबिक, केरला स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी केलट्रॉन ने इलेक्ट्रॉनिक पावर मॉड्यूल और टेस्ट एंड इवॉल्यूशन सिस्टम को डेवलप किया है।
Chandrayaan-3 के लिए इन कंपनियों ने बनाए अहम कंपोनेंट
चांद पर भारत का झंडा गाड़ने जा रहे इस मिशन में योगदान देने वाली कंपनियों की लिस्ट इतनी ही नहीं है। प्राइवेट कंपनी वालचंद इंडस्ट्रीज ने मिशन के कई कंपोनेंट की मैन्यूफैक्चरिंग की है। अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने इसरो के लिए लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट, स्पेसक्राफ्ट पेलोड और ग्राउंड सिस्टम के लिए कई इलेक्ट्रॉनिक्स व मैकेनिकल सबसिस्टम का विनिर्माण किया है। गोदरेज एंड बॉयसे ने लिक्विड प्रोपल्शन इंजन, सैटेलाइट थ्रस्टर और कंट्रोल मॉड्यूल कंपोनेंट को तैयार किया है। मिली जानकारी के अनुसार, यह कंपनी गोदरेज एयरोस्पेस की सब्सिडियरी है और मंगलयान के लिए भी काम कर चुकी है।
इस मिशन के सफल होने के बाद भारत का बढ़ेगा कद
आज शाम में जैसे ही भारत के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा, अंतरिक्ष में मानवों की उपलब्धियों की फेहरिस्त और लंबी हो जाएगी। इस मिशन के सफल होने के बाद यह भारत के कद को बढ़ाएगा और साथ ही देश में तेजी से डेवलप हो रही स्पेस टेक इंडस्ट्री को एक नई प्रेरणा मिलेगी।

Chandrayaan-3 के लिए देशभर में मांगी जा रही हैं दुआ
देश के तमाम राज्यों में चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के लिए हवन-पूजन किया।जा रहा है। यहां प्रार्थनाओं का दौर जारी है। दूसरी तरफ चन्द्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के लिये ऐशबाग ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में दुआ मांगी गई। दुआ में बड़ी संख्या में मदरसे के छात्र और नमाजी शामिल हुए। इस बीच मौलाना ने कहा कि चन्द्रयान की सफल लैंडिंग के बाद भारत लूनर साउथ पोल पर सफल लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि ये हम सब देशवासियों के लिये फख्र की बात है।
Chandrayaan-3 की लैंडिंग के बाद क्या होगा?
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे और पहियों पर इसरो के लोगो के साथ छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर 4 घंटे के बाद लैंडर की बेली से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। यह एक सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चलेगा और चंद्रमा के परिवेश को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल करेगा। रोवर में चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए उपकरण हैं। यह चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना के संबंधित डेटा एकत्र करेगा और लैंडर को डेटा भेज देगा।
तीन पेलोड के साथ विक्रम लैंडर निकट सतह के प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व को मापेगा, चंद्रमा की सतह की थर्मल प्रॉपर्टीज (तापीय गुणों) को मापेगा, लैंडिंग स्थल के आसपास सिस्मीसिटी (भूकंपीयता) को मापेगा और चंद्र परत की संरचना और आवरण का वर्णन करेगा। सौर ऊर्जा से संचालित लैंडर और रोवर के पास चंद्रमा के परिवेश का अध्ययन करने के लिए करीब दो हफ्ते समय होगा। रोवर केवल लैंडर को जानकारी भेज सकता है और लैंडर सीधे पृथ्वी से कम्युनिकेट करेगा।

चांद पर उतरने के बाद क्या करेगा रोवर?
लैंडर मॉड्यूल से निकलकर रोवर चांद की सतह पर चलने लगेगा। चांद की सतह पर पहुंचने के बाद ये रोवर एक लूनर डे (चंद्र दिवस) का वक्त वहां गुजारेगा। एक लूनर डे 14 दिनों का होता है। रोवर इसरो के लिए चांद पर कई तरह के वैज्ञानिक परीक्षण करेगा। इससे चांद पर मौजूद कई गहरे राज भी खुल सकते हैं।
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