चारधाम यात्रा का शुभारंभ हर वर्ष अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ होता है। इस वर्ष यह यात्रा आज से शुरू हो रही है। इस यात्रा को त्रिवेन्द्र सिंह रावत हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगे। उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री से शुरू होने वाली यह यात्रा गंगोत्री धाम से केदारनाथ होते हुए बदरीनाथ पहुँचती है। शास्त्रों में चारधाम यात्रा का शुभारंभ हरिद्वार से माना गया है।
हरिद्वार में भगवान विष्णु में और शिव जी का द्वार है। पहाड़ो से होते हुए गंगा जी यहीं से मैदान में उतरती है। इसलिए हरिद्वार को गंगा द्वार भी कहा गया है। माना जाता है कि हरिद्वार माता पार्वती का मायका भी है और यहीं देवभूमि के प्रथम दर्शन भी होते है। मान्यता है कि गंगाजी में डुबकी लगाने के बाद यात्रा शुरू करना पुण्यदायी होता है।
चारधाम यात्रा के पहले दिन चारों तीर्थों में अखंड ज्योति के दर्शन होते है। इसे बहुत पुण्यदायी माना जाता है। व्यावहारिक रूप में देखें तो सूर्य की पहली किरण, वर्षा की पहली फुहार, स्नेह का पहला स्पर्श भला किसे नहीं सुहाता। कहने का तात्पर्य यह है कि शुभारंभ हमेशा श्रेयस्कर होता है, इसलिए पहले दिन की यात्रा का विशेष महत्व है।