भारत ने आतंक के खिलाफ खींची नई रेड लाइन: सिंगापुर में बोले CDS अनिल चौहान, ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति पर बड़ा बयान

0
2
भारत ने आतंक के खिलाफ खींची नई रेड लाइन: सिंगापुर में बोले CDS अनिल चौहान, ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति पर बड़ा बयान
भारत ने आतंक के खिलाफ खींची नई रेड लाइन: सिंगापुर में बोले CDS अनिल चौहान, ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति पर बड़ा बयान

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग 2025 के मंच से एक स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थिरता बनाए रखने की जिम्मेदारी केवल भारत की नहीं, पाकिस्तान को भी अब अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी होगी। जनरल चौहान ने यह भी कहा कि क्षेत्रीय अस्थिरता के लिए पाकिस्तान की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

CDS ने टिप्पणी की, “ताली एक हाथ से नहीं बज सकती,” और यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान को भी स्थायी शांति के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत की सहनशीलता अब अपने अंतिम बिंदु पर पहुंच चुकी थी, और इसी के चलते ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया।

ऑपरेशन सिंदूर क्यों बना भारत की सैन्य कार्रवाई का हिस्सा?

जनरल चौहान ने कहा कि पिछले दो दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने भारत को बार-बार चोट पहुंचाई है। हजारों निर्दोष नागरिकों और सैनिकों की जान जा चुकी है। उन्होंने बताया कि भारत ने अब आतंकवाद के खिलाफ एक नई “रेड लाइन” तय कर दी है। अब यदि यह रेखा पार की गई, तो भारत की प्रतिक्रिया पहले से कहीं अधिक निर्णायक होगी।

पाकिस्तान की सीमा में 300 किलोमीटर भीतर घुसकर कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के भीतर 300 किमी अंदर तक प्रवेश कर लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। इस दौरान भारत ने स्वदेशी हथियारों के साथ-साथ मित्र राष्ट्रों से प्राप्त उपकरणों का भी इस्तेमाल किया। जनरल चौहान ने इसे भारतीय सैन्य क्षमताओं का प्रतीक बताया।

थलसेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त शक्ति

इस अभियान में तीनों सेनाओं — थलसेना, वायुसेना और नौसेना — ने समन्वय के साथ इंटेलिजेंस, योजना और लॉजिस्टिक्स का साझा रूप से उपयोग किया। सीडीएस ने यह भी कहा कि इस मिशन से मिली चुनौतियों से भारत ने कई सीखें ली हैं और इसी के आधार पर थिएटर कमांड विकसित किया जाएगा, हालांकि इसकी समयसीमा अभी तय नहीं है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई परिभाषा

जनरल चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता का अर्थ यह नहीं कि भारत हर प्रकार के हथियार खुद बनाए। इसके लिए भारत को वैश्विक साझेदारों के साथ सहयोग की आवश्यकता है, ताकि रक्षा उत्पादन और रणनीतिक तैयारी दोनों मजबूत हो सकें।